हिन्दी सिनेमा में कई बार खलनायकों ने नायकों से ज्यादा नाम कराया. प्राण भी उनमें से ही एक थे. अपने जानदार और ‘कातिलाना’ अभिनय से निगेटिव रोल में भी प्राण फूंकने वाले अभिनेता प्राण का आज जन्मदिन है.
अभिनेता प्राण को दशकों तक बुरे आदमी (खलनायक) के तौर पर जाना जाता रहा और ऐसा हो भी क्यों ना, पर्दे पर उनकी विकरालता इतनी जीवंत थी कि लोग उसे ही उसकी वास्तविक छवि मानते रहे. लेकिन फिल्मी पर्दे से इतर प्राण असल जिंदगी में वे बेहद सरल, ईमानदार और दयालु व्यक्ति हैं.
12 फरवरी, 1920 को पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान इलाके में बसे एक रईस परिवार में प्राण का जन्म हुआ. बचपन में उनका नाम प्राण कृष्ण सिकंद था. उनका परिवार बेहद समृद्ध था. प्राण बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे. बड़े होकर उनका फोटोग्राफर बनने का इरादा था. 1940 में जब मोहम्मद वली ने पहली बार पान की दुकान पर प्राण को देखा तो उन्हें फिल्मों में उतारने का सोचा और एक पंजाबी फिल्म “यमला जट” बनाई जो बेहद सफल रही. फिर क्या था इसके बाद प्राण ने कभी मुड़कर देखा ही नहीं. 1947 तक वह 20 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके थे और एक हीरो की इमेज के साथ इंड्रस्ट्री में काम कर रहे थे हालंकि लोग उन्हें विलेन के रुप में देखना ज्यादा पसंद करते थे.
1947 के विभाजन के बाद उन्होंने शाहदत अली मंटो की एक फिल्म में काम किया जिसमें देवानंद भी थे. फिल्म की सफलता का श्रेय तो देव जी के खाते में गया पर प्राण पर दुबारा लोग दांव लगाने लगे. 1960 में आई मनोज कुमार की पुकार ने उनके निगेटिव किरदार को नया रुप दिया. प्राण सिगरेट के धुएं से गोल-गोल छल्ले बनाने में माहिर थे. फ़िल्म निर्देशकों ने इसका ख़ूब इस्तेमाल किया. उनकी फिल्मों में यह दृश्य आम था.
प्राण ने अमिताभ और देवानंद के साथ कई फिल्में कीं जिससे उनके कॅरियर को और अधिक ऊंचाई मिली. वैसे पर्दे पर जो प्राण थे असल जिंदगी में वह बिलकुल उलट हैं. समाज सेवा और सबसे अच्छा व्यवहार करना उनका गुण है.
प्राण को तीन बार फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड मिला. और 1997 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट खिताब से नवाजा गया. आज भी लोग प्राण की अदाकारी को याद करते हैं.
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