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रा वन : थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी

Ra One डेढ़ सौ करोड़ की फिल्म, भारतीय सिनेमा जगत की सबसे महंगी फिल्म, फिल्म में शाहरुख और करीना जैसे सितारे और संगीत अंतरराष्ट्रीय गायक एकॉन का और इन सब पर तकनीक का ऐसा तड़का जो आपको हिलाकर रख दे. लेकिन उसके बावजूद भी अगर फिल्म उम्मीद के मुताबिक ना चले तो कोई क्या कर सकता है. रा वन के साथ भी ऐसा ही हुआ. बेहतरीन अदाकारी और गजब की तकनीक के बीच दर्शक कहानी को ढूंढ़ते रहे. दीपावली पर प्रदर्शित होने वाली शाहरुख खान की काफी दिनों से इंतजार की जा रही फिल्म रा-वन को लेकर सिर्फ दर्शक ही नहीं बल्कि समीक्षकों में भी अलग-अलग राय है. कुछ ने फिल्म की तकनीकी बेहतरी का हवाला देते हुए कहा है कि इसने भारतीय फिल्म को हॉलीवुड के समकक्ष खड़ा कर दिया है जबकि कुछ इसके कमजोर स्क्रिप्ट को लेकर निराश हैं.


रा.वन, सलमान खान अभिनीत बॉडीगार्ड के पहले दिन 22 करोड़ रुपये की बॉक्स ऑफिस पर कमाई के रिकार्ड को नहीं तोड़ सकी. यह फिल्म पहले दिन देश में बॉक्स ऑफिस पर 18 करोड़ रुपये कमाने में कामयाब रही.


रा वन की कहानी बहुत कुछ आपको एक वीडियो गेम की तरह लगेगी पर फिल्म में शाहरुख और करीना ने ग्लैमर का टच देकर इसे देशी बना दिया है. फिल्म की कहानी ही इसका सबसे कमजोर पक्ष है पर इस कमजोरी को फिल्म की तकनीक ने पूरा कर दिया है. इस फिल्म को “3 डी” में देखना सबसे बेहतरीन अनुभव है. पहली बार भारत में बनी इस तरह की फिल्म को दर्शकों ने भी खूब सराहा पर जो लोग बॉलिवुड में शाहरुख खान को कमाई का पुतला मानते हैं वह उनकी इस फिल्म की तुलना सलमान की पिछली फिल्मों से कर रहे हैं जो गलत है.


आइए नजर डालते हैं किंग खान की इस खट्टी मीठी फिल्म “रा वन” पर.


Ra One posterफिल्म: रा वन (RA ONE)

बैनर: रे‍ड चिलीज़ एंटरटेनमेंट, इरोज एंटरटेनमेंट

कलाकार: शाहरुख खान, करीना कपूर, अर्जुन रामपाल, मास्टर अरमान वर्मा, सतीश शाह

निर्माता: गौरी खान

निर्देशक: अनुभव सिन्हा

संगीत: विशाल-शेखर

रिलीज डेट: 26 अक्टूबर, 2011

रेटिंग: ****


फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी शेखर सुब्रमण्यम (शाहरुख खान) के ईर्द-गिर्द घूमती है जो एक गेम डिजाइनर है लेकिन अभी तक वो एक भी सफल वीडियो गेम नहीं बना पाया है. शेखर एक मस्तमौला आदमी है लेकिन इसके बावजूद वह अपना ज्यादातर समय गेम डिजाइन लैब में बिताता है ताकि वह एक सफल वीडियो गेम बना सके. और हां, उसकी एक आदत है खाना. वह खाने का बहुत शौकीन है जिससे सभी परेशान हैं.


शेखर की बीवी का नाम है सोनिया (करीना कपूर), जो पंजाबी है. पंजाबी महिलाओं की तरह वह जिंदगी को भरपूर तरीके से जीने में विश्वास करती है. शेखर जो खुद दक्षिण भारतीय है उसके साथ पंजाबी कुड़ी की जोड़ी बहुत दिलचस्प लगती है.


लेकिन सोनिया का व्यवहार और आदतें शेखर से बिलकुल उलट हैं. सोनिया किसी भी तरह की समस्या से निपट सकती है, सिवाय मॉडर्न टेक्नोलॉजी के. इसके साथ ही सोनिया एक ऐसी किताब भी लिखना चाहती है जिसमें गालियां पुरुषों के ऊपर बनी हों. शेखर और सोनिया का एक बेटा है प्रतीक सुब्रमण्यम (मास्टर अमन वर्मा). प्रतीक को वीडियो गेम का बहुत शौक है. वह पूरे दिन वीडियो गेम ही खेलना पसंद करता है लेकिन इसके साथ वह अन्य खेलों में भी रूचि रखता है. पर उसका पहला प्यार तो वीडियो गेम ही रहता है. प्रतीक की अपने मम्मी-पापा से नहीं पटती है. वह चाहता है कि उसके मां बाप भी उसकी तरह रहें और जीएं. उसे अपनी लाउड पंजाबी मां पर शरम आती है जबकि पिता को तो वह बिलकुल पसंद नहीं करता. वह चाहता है कि उसके पिता कूल दिखें.


लेकिन उसका पिता शेखर(शाहरुख खान) अपने बेटे को खुश करने की सारी कोशिश करता है. इसी बीच शेखर का डिजाइन किया गया एक गेम सफल हो जाता है. पूरा परिवार इस गेम को देखने के लिए इकट्ठा होता है. बीच गेम में हार्ड ड्राइव क्रैश हो जाती है और तूफान आता है सुब्रमण्यम परिवार पर.


यही से फिल्म में आता है खलनायक “रा वन” (अर्जुन रामपाल). रा वन पहले शेखर को मार देता है और फिर वह उसके परिवार को भी खत्म कर देना चाहता है. ऐसे में ही रा वन का खात्मा करने के लिए आता है “जी वन”(शाहरुख खान). कहानी आगे बढ़ती है और अंत में रा वन मारा जाता है.


Kareena kapoorफिल्म समीक्षा: रा वन

फिल्म का पहला भाग जितना अच्छा, रोमांचक और दिलचस्प है दूसरा भाग उतना ही पकाऊ और थकान भरा लगा. फिल्म के पहले पार्ट में शेखर की मस्तियां, सोनिया (करीना कपूर) का रोमांस और रा वन का गेम से बाहर निकलना दर्शकों को बांधे रखता है पर दूसरे भाग में जब सोनिया और उसका बेटा प्रतीक भारत आते हैं तो कहानी थोड़ी धीमी हो जाती है.


फिल्म की तकनीक को पांच में से पांच नंबर दिए जाते हैं. फिल्म में तकनीक के लिहाज से शायद ही कहीं कोई कमी रह गई हो. फिल्म में “दिलदारा” और “छम्मक छल्लो” जैसे दो बेहतरीन गाने हैं. एकॉन की आवाज में हिन्दी गाने सुनना लोगों को खूब भाया भी. सभी कलाकारों ने अपना शत प्रतिशत दिया पर कहीं ना कहीं फिल्म के खलनायक अर्जुन रामपाल पर कम फोकस करना खलता है. आखिर एक खलनायक का भी फिल्म में नायक के समान ही महत्व होता है.


लेकिन फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी थी स्क्रिप्ट जो दर्शकों को अंत तक बांध कर नहीं रख सकी. अगर फिल्म में रा वन और जी वन के बीच अधिक लड़ाई दिखाई गई होती और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद एक्शन दृश्य भरे गए होते तो दर्शक फिल्म के साथ काफी देर तक बंधे रह सकते.


अंत में तो हम यही कह सकते हैं कि शाहरुख खान को शादियों में तो नाचना पड़ेगा पर कम क्योंकि उन्होंने खुद ही जो कहा था कि फिल्म रिलीज होने के बाद मैं जितना शादियों में नाचुंगा आप समझना मुझे उतना नुकसान हुआ है. अब फिल्म को नुकसान तो हुआ नहीं है पर मुनाफा भी उतना नहीं हुआ जिसकी कल्पना शाहरुख खान ने की थी.

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