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जन्मदिन विशेषांक : राजेन्द्र कुमार (Rajendra Kumar’s Profile)


हिन्दी फिल्मों में अपने सफल अभिनय और बेमिसाल अदाकारी की वजह से राजेन्द्र कुमार ने जो स्थान बनाया है वहां तक पहुंचना हर अभिनेता का सपना होता है. राजेन्द्र कुमार की हर फिल्म इतनी हिट होती थी कि वह कई सालों तक बेहतरीन बिजनेस किया करती थी और यही वजह थी कि लोग उन्हें ‘जुबली कुमार’ के नाम से पुकारते थे.


अपने रोमांटिक व्यक्तित्व की उन्होंने सिनेमा जगत में ऐसी छटा बिखेरी की उनकी फिल्में एक यादगार बन गईं. फिल्म “आरजू” हो या “आई मिलन की बेला” हर फिल्म में राजेन्द्र कुमार का एक अलग ही स्वरूप दर्शकों ने देखा.


Rajender Kumarपश्चिम पंजाब के सियालकोट (Sialkot) में 20 जुलाई, 1929 को जन्मे राजेन्द्र कुमार बचपन से ही अभिनेता बनने की चाह रखते थे. एक मध्यम वर्गीय परिवार से होने के बावजूद उन्होंने उम्मीदों का दामन नहीं छोड़ा.


मुबंई में अपनी किस्मत आजमाने के लिए उन्होंने पिता द्वारा दी गई घड़ी को बेचा था पर मुबंई आकर अपनी किस्मत बदलने का हौसला उन्होंने किसी से नहीं लिया था. राजेन्द्र कुमार सुंदर होने के साथ साथ मानसिक रुप से भी बहुत ही दृढ़ अभिनेता थे.


21 साल की उम्र में ही उन्हें फिल्मों में काम करने का पहला मौका मिला. पहली बार फिल्म ‘जोगन’ (Movie: Jogan) में उन्होंने अभिनय किया और उसके बाद अपने हर रोल में वह खुद ब खुद फिट होते चले गए. इसके बाद ‘गूंज उठी शहनाई’ में पहली बार वह एक अभिनेता के तौर पर दिखे. वर्ष 1957 में प्रदर्शित महबूब खान की फिल्म ‘मदर इंडिया’ (Movie: Mother India) में राजेंद्र कुमार ने जो अभिनय किया उसे देख आज भी लोग प्रफुल्लित हो उठते हैं. मदर इंडिया के बाद राजेन्द्र कुमार ने ‘धूल का फूल’, ‘मेरे महबूब’, ‘आई मिलन की बेला’, ’संगम’, ‘आरजू’ , ‘सूरज’ आदि जैसे सफल फ़िल्मों में काम किया.


कुमार ने 1950 और 60 के दशक में कई कामयाब फिल्में दी. इनमें धूल का फूल, मेरे महबूब, संगम और आरजू प्रमुख रहीं. कुमार को फिल्मफेयर पुरस्कार के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में तीन बार नामांकन मिला, हालांकि उन्हें कभी यह पुरस्कार नहीं मिल पाया क्योंकि वह दौर कई महान अभिनेताओं का था, जो कुछ मामलों में उनसे बीस नजर आए.


राजेन्द्र कुमार के बारे में एक बात बहुत प्रसिद्ध है कि वह अपनी फिल्मों का चयन बड़ी सावधानी से करते थे और शायद यही वजह थी कि उनकी अधिकतर फिल्में सफल होती थीं.


फिल्मों में अभिनय के बाद उन्होंने निर्देशन की भी बागडोर संभाली. 1981 में राजेन्द्र कुमार ने अपने बेटे कुमार गौरव को मुख्य भूमिका में ले कर फिल्म ‘लव स्टोरी’ बनाई जो एक हिट फिल्म साबित हुई पर उनके बेटे गौरव कुमार अपने पिता की तरह अपनी सफलता को अधिक समय तक कायम नहीं रख सके और बाद में एक सह अभिनेता बनकर रह गए.


राजेन्द्र कुमार की उपलब्धियां


  • 1969में राजेन्द्र कुमार को पद्म श्री से सम्मानित किया गया था.
  • हिन्दी फ़िल्म ‘कानून और गुजराती फ़िल्म ‘मेंहदी रंग लाग्यो’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार.

जीवन के आखिरी दिनों में वह कैंसर की चपेट में आ गए. 12 जुलाई, 1999 को भारतीय सिनेमा जगत के इस महान अभिनेता का निधन हो गया.


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