हिन्दी सिनेमा जगत में एक धारणा है कि एक समय के बाद अभिनेत्रियों को लोग पर्दे पर देखना पसंद नहीं करते क्यूंकि मुख्य अभिनेत्री के तौर पर उनकी जगह बनती नहीं और बूढ़ी मां या बहन के किरदार एक समय की हिट हिरोइनें करती नहीं. लेकिन इसके कुछ अपवाद भी हैं जैसे राखी गुलजार. अपने पति गुलजार की तरह सदाबहार रहने वाली राखी ने हिन्दी सिनेमा जगत में ऐसी मिसाल पैदा की है जो काबिलेतारीफ है. एक ही अभिनेता के साथ जोड़ी बनाने के अलावा उसकी मां का रोल निभाना एक साहस का कार्य होता है और इस कार्य को राखी ने सफलतापूर्वक किया है.
15 अगस्त, 1947 को जन्मी राखी गुलजार का जन्म रानाघाट(Ranaghat) में हुआ था जो पश्चिम बंगाल में स्थित है. उनके पिता जूतों का व्यापार किया करते थे. युवावस्था में राखी की शादी बंगाली फिल्म निर्देशक अजय विश्वास से तय हुई थी पर यह शादी ज्यादा दिन नहीं चल पाई.
राखी गुलजार ने पहली बार बंगाली फिल्म “बधु बरन” (Badhu Baran) से अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत की. 20 साल की उम्र में यह उनकी पहली फिल्म थी. फिल्म एक हिट साबित हुई और देखते ही देखते राखी गुलजार को हिन्दी फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया. 1970 में फिल्म “जीवन मृत्यु” से राखी ने बॉलिवुड में कार्य करना शुरू किया. यह फिल्म भी हिट रही. इसके बाद 1971 में उन्होंने “शर्मीली” के द्वारा हिन्दी सिनेमा जगत में सफल हिरोइनों में अपना नाम दर्ज करा लिया. हालांकि उन्हें इसके बाद लीड हिरोइनों की जगह सह अभिनेत्रियों के रोल ज्यादा मिले जिसे उन्होंने पूरे मन से निभाए. उनका मानना था कि कोई भी रोल छोटा या बड़ा नहीं होता.
“हीरा पन्ना”,“दाग”,“तपस्या” जैसी फिल्मों में उन्होंने छोटे रोल निभा कर भी खूब वाहवाही बटोरी. राखी गुलजार और अमिताभ बच्चन की जोड़ी को बॉलिवुड की हिट जोड़ियों में से एक माना जाता है. अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने आठ हिट फिल्में दीं जिनमें “कभी-कभी”, “कस्मे वादे”, “मुकद्दर का सिकंदर”, “त्रिशूल”, “काला पत्थर”, “जुर्माना”, “बरसात की एक रात” आदि शामिल हैं. इन फिल्मों में जहां एक ओर राखी ने अमिताभ बच्चन के साथ लीड रोल निभाया तो वहीं “शान’ में अमिताभ बच्चन की भाभी और शक्ति” में वे उनकी माँ बनी थीं. इतनी विविधता से भरी होने की वजह से राखी खुद को बॉलिवुड मे इतना आगे ले जा पाईं.
1985 के बाद जब उन्हें लीड रोल मिलना बंद हो गया तब भी उन्होंने हार नहीं मानी और फिल्मों में मां और विधवाओं के रोल निभाना स्वीकार किया. यह एक साहसिक कदम था और यहां भी राखी को सफलता ही मिली. “डकैत”, “राम-लखन”, “सौगंध”, “खलनायक”, “क्षत्रिय”, “अनाड़ी”, “बाजीगर”, “करन-अर्जुन”, “बॉर्डर”, “सोल्जर”, “एक रिश्ता- द बॉन्ड ऑफ लव” और “दिल का रिश्ता” जैसी फिल्मों में उन्होंने बहुत ही जानदार एक्टिंग की. उम्र के इस दहलीज पर भी उनका अभिनय कम नहीं हुआ.
राखी गुलजार की उपलब्धियां
राखी ने अपनी दूसरी शादी निर्देशक, गजल लेखक और कवि गुलजार से की. गुलजार से शादी के बाद ही उनका नाम राखी गुलजार हुआ. राखी गुलजार और गुलजार की प्रेम कहानी भी बहुत दिलचस्प है. दोनों का प्रेम दुनिया की निगाहों से छुपता हुआ अपनी मंजिल तक पहुंचा था हालांकि शादी के कुछ साल बाद ही राखी की बेटी होने के बाद से दोनों अलग-अलग रहते हैं पर अभी तक उन्होंने तलाक नहीं लिया है.
बेहतरीन अभिनय से दर्शकों का मन मोहने वाली राखी को नृत्य नहीं आता था पर इस कमी को उन्होंने अपनी एक्टिंग से ढक लिया.
Read Comments