बॉलिवुड में शादी के बाद अपने कॅरियर को खत्म करने के ट्रेंड को फॉलो करने वाली हिरोइनों में एक नाम मस्त मस्त गर्ल रवीना टंडन का भी है. कभी अपनी जवानी के शवाब पर उन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा बन सनसनी मचा दी थी. मोहरा, लाडला और अक्स जैसी बेहतरीन फिल्में करने वाली रवीना टंडन अब शादी कर अपने परिवार के साथ मगन हैं. आज उनका 37वां जन्मदिन है. तो चलिए जानते हैं रवीना टंडन के बारे में.
रवीना टंडन का बचपन
26 अक्टूबर, 1974 को जन्मी रवीना टंडन के पिता फिल्मकार रवि टंडन थे. उनकी मां का नाम वीना था और अपने माता पिता के नाम पर ही उनका नाम रवीना पड़ा.
मुंबई के “जमनाबाई नर्सरी स्कूल” और “मिठीबाई कॉलेज” से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मॉडलिंग के क्षेत्र में कदम रखा.
कॉलेज के दौरान ही उन्हें फिल्में करने का ऑफर मिलने लगा.
रवीना टंडन का कॅरियर
साल 1991 में फिल्म “पत्थर के फूल” से रवीना ने अपने कॅरियर की शुरूआत की. इसके बाद उन्हें 1994 में “मोहरा” और दिलवाले जैसी सुपरहिट फिल्में करने का मौका मिला जहां उन्होंने अपनी अदाकारी का जमकर प्रदर्शन किया. इन दो फिल्मों ने उन्हें बॉलिवुड की टॉप हिरोइनों में ला खड़ा किया. 1995 की फिल्म “अंदाज अपना अपना” और “जमाना दीवाना” से उन्होंने अपने कॅरियर को सफल बनाए रखा.
साल 1996 और 1997 में रवीना टंडन की दो सफल फिल्में आईं जिसमें फिल्म “खिलाड़ियों का खिलाड़ी” और इसके अगले साल प्रदर्शित फिल्म “जिद्दी” शामिल थी. इसके बाद कुछ समय के लिए रवीना टंडन ने कॉमेडी फिल्में की. लेकिन इसके बाद “घरवाली बाहरवाली”, “आंटी नंबर वन” और “दुल्हे राजा” जैसी औसत फिल्मों की वजह से उनका क्रेज कम होने लगा.
रवीना टंडन ने शूल, बुलंदी और अक्स जैसी आर्ट फिल्मों में भी सफलता का स्वाद चखा. अक्स के लिए उन्हें फिल्मफेयर स्पेशल परफॉर्मेंश अवार्ड भी मिला. साल 2001 में आई फिल्म दमन में शानदार अभिनय के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला.
सत्ता, दोबारा, एक से बढ़कर दो जैसी फ्लॉप फिल्मों ने साफ कर दिया कि दर्शकों पर अब रवीना का जादू खत्म हो चुका है. हाल ही में साल 2011 में रवीना टंडन ने फिल्म “बुढ्ढा होगा तेरा बाप” में एक छोटा सा किरदार निभाया था.
करीब 13 साल तक फिल्मों में काम करने के बाद रवीना ने वितरक अनिल टंडानी से 2004 में शादी की. उनके दो बच्चे बेटी राशा और बेटा रणवीर हैं. एक सफल फिल्मी जीवन जीने के बाद अब रवीना अपने परिवार के साथ खुश हैं. इसे ही कहते हैं सफलता की अच्छी कहानी जहां अंत भी भला हो.
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