इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं,
इन आंखों के बाबस्ता अफसाने हजारों हैं,
इक सिर्फ हमीं मय को आंखों से पिलाते हैं,
कहने को तो दुनिया में मयखाने हजारों हैं !!!
बला की खूबसूरत और अदाओं की मल्लिका रेखा पर यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं. हिन्दी सिनेमा में 43 वर्षों का शानदार सफर पूरी करने वाली रेखा अब 59 वर्ष की हो गई हैं. लेकिन ना जाने कैसी कशिश है उनकी खूबसूरती में जो आज भी हजारों दिल उन्हीं के लिए ही धड़कते हैं. क्या बॉलिवुड क्या आम जनता सभी रेखा के हुस्न के दीवाने हैं. दर्शकों को तो शायद रेखा की खूबसूरती ही थियेटर तक खींच लाती है.
10 अक्टूबर, 1954 को जन्मी रेखा का वास्तविक नाम भानुरेखा गणेशन है. लेकिन सिलवर स्क्रीन पर वह रेखा के नाम से ही लोकप्रिय हुईं. कहते हैं खुदा किसी किसी पर मेहरबान होता है और शायद रेखा उन्हीं कुछ लोगों में से एक हैं.
फिल्म जगत से जुड़े लोग और दर्शक उन्हें हुस्न की देवी जैसी उपाधियां देते हुए जरा भी गुरेज नहीं करते.
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बेबी भानुरेखा के नाम से कैमरे से रिश्ता जोड़ने वाली रेखा के पिता जेमिनी गणेशन दक्षिण भारत के प्रख्यात और सफल एक्टर थे. रेखा ने अपनी पहली फिल्म सावन भादो में ही सफलता का स्वाद चख लिया था और सफलता का सिलसिला निरंतर चलता रहा. शुरुआत में भले ही रेखा के हुस्न को किसी ने नहीं पहचाना लेकिन समय के साथ-साथ रेखा की खूबसूरती में ऐसा निखार आता गया जिसे नजरंदाज कर पाना बेहद मुश्किल हो गया.
रेखा (Rekha) के जीवन में कई फिल्में मील का पत्थर साबित हुई लेकिन फिल्मों के अलावा अमिताभ बच्चन का साथ उनके लिए किसी गुडलक बन गया. रेखा को एक अभिनेत्री के रूप में पहचान अमिताभ के साथ ने दिलवाई जब वह आलाप फिल्म में पहली बार अमिताभ बच्चन की नायिका बनीं. हालांकि इस फिल्म ने दर्शकों को उतना प्रभावित नहीं किया जितना की उम्मीद की जा रही थी लेकिन यह कमी अमिताभ और रेखा की जोड़ी ने अपनी अगली फिल्म दो अंजाने के बाद पूरी कर दी. रेखा की अधिकांश फिल्में अमिताभ के ही साथ आईं और पर्दे की इस हिट जोड़ी की रियल लाइफ केमिस्ट्री भी रोमांटिक होती गई. रेखाअमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) को ना सिर्फ अपना को-स्टार मानती थीं बल्कि वह उनके लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका भी निभाते थे.
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रेखा का अमिताभ बच्चन के प्रति लगाव और प्रेम कभी किसी से नहीं छिपा. इतना ही नहीं अमिताभ भी रेखा के साथ जुड़ाव महसूस करते थे.
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1975 से 1985 तक का समय रेखा के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा. इस दौरान उन्होंने सफलता के कई आयाम तो छुए लेकिन निजी जीवन हमेशा ही उथल पुथल भरा रहा. इन दस सालों में रेखा ने उमराव जान, खूबसूरत, उत्सव जैसी फिल्मों में अपनी अदायगी और खूबसूरती का लोहा मनवाया. लेकिन वो कहते हैं ना कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता, इनके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ और पर्दे की सबसे हसीन जोड़ी अमिताभ और रेखा असल जीवन में एक नहीं हो पाए.
जया भादुड़ी (Jaya Bhaduri) के साथ विवाह हो जाने के बाद अमिताभ बच्चन रेखा से दूर होते गए और परिवार की खुशी के लिएरेखा और अमिताभ ने कभी साथ ना आने का निश्चय कर लिया. सिलसिला फिल्म के बाद यह जोड़ी फिर कभी पर्दे पर एक साथ नहीं दिखाई दी.
अभिनेत्री होने के अलावा रेखा राज्य सभा की मनोनीत सदस्या भी हैं. मई 2012 में उन्हें राज्यसभा पद के लिए शपथ दिलवाई गई. सन 2010 में रेखा को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया.
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