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विश्व के सात अजूबे (प्राचीन) – Seven Wonders of the World


यह दुनिया बहुत सुन्दर है. प्रकृति ने अपने रंग से इस दुनियां को बहुत ही रंगीन बनाया है. समुद्र, पहाड़ और जमीन के मिलन से प्रकृति ने कुछ ऐसा नजारा हमारे लिए तैयार किया है जिसकी कल्पना करना इंसान के लिए कभी-कभी सपने जैसा हो जाता है. दुनियां में प्रकृति ने इतना रंग घोला है कि इंसान में भी इसे और सुन्दर बनाने की ललक पैदा हो गई. कभी अपनी याद के लिए तो कभी कला को समर्पण करने के लिए तो कभी किसी अन्य वजह से इंसान ने ऐसी कई रचनाएं की हैं जिनसे यह दुनिया और भी खूबसूरत बन गई है.


संसार में यूं तो इंसान द्वारा बनाई गई हजारों ऐसी कृतियां हैं जिन्हें देख आप अंचभे में पड़ जाएंगे लेकिन दुनियां के सात अजूबों की बात ही अलग है. अपनी शिल्प कला, वास्तु कला और भवन निर्माण कला के लिए दुनियां के सात अजूबे हमेशा चर्चा का विषय बने रहते हैं.


Seven WondersOfTheWorldदुनियां के नए सात अजूबों को हाल ही में जोड़ा गया है किंतु क्या आप जानते हैं कि दुनियां के सात प्राचीन अजूबे कौन से थे? साथ ही दुनियां के सात नए अजूबे कौन से हैं? नहीं….? तो आपके इसी सवाल का जवाब लिए यह ब्लॉग हाजिर है.


दुनियां के सात अजूबे अपनी वास्तु कला, इतिहास और भवन निर्माण की कला में अद्भुत होने की वजह से अजूबों की सूची में शामिल होते हैं. दुनियां में सबसे प्राचीन सात अजूबों में से अभी सिर्फ एक ही इमारत शेष है और वह है गीज़ा का विशाल पिरामिड जो मिस्त्र में है.


प्राचीन दुनियां के सात अजूबों की सूची कुछ इस प्रकार है :



Great Pyramid of GizaGreat Pyramid of Gizam – गीज़ा का विशाल पिरामिड (मिस्त्र): मिस्त्र में बने इन पिरामडों की रचना एक पहेली है. फाराओह खुफु(Pharaoh Khufu) की याद में बने इस पिरामिड की खासियत यह है कि इसे पत्थरों को पानी में काट कर, एक से ऊपर एक पत्थर को रख कर बनाया गया है. पत्थरों को कुछ इस तरह से रखा गया है कि इसमें एक बाल घुसने की भी जगह नहीं है. यह अब तक समय की मार झेलता हुआ खड़ा है. गणित का इस्तेमाल कर शिल्पकारो ने इस रचना को आकार दिया था.


Hanging_Gardens_of_BabylonHanging Gardens of Babylon- बेबीलोन के झूलते बागीचे (इराक): जैसा की नाम से लगता है यह इमारत कितनी विचित्र होगी. यह प्राचीन विश्व के सात अजूबों में से एक था. यह प्राचीन बेबीलोन में बना था जो आज इराक में अल-हिल्लह नामक स्थान के पास है. यह उद्यान यहां के राजा नबूचड्नेजार (Nebuchadnezzar II) ने 600 ईसा पूर्व बनाई थी. यह उद्यान उसने अपनी पत्नी को खुश करने के लिए बनवाया था पर समय की मार ने इस विचित्र अजूबे को दफन कर दिया. भूकंप में यह उद्यान नष्ट हो गया था.


Lighthouse of AlexandriaLighthouse of Alexandria – सिकन्दरिया का प्रकाश स्तम्भ (मिस्र): मिस्त्र में दुनियां का एक और अजूबा पाया जाता था और वह था सिकन्दरिया का प्रकाश स्तम्भ. माना जाता है समुद्री नाविकों को राह दिखाने के लिए इस प्रकाश स्तंभ की रचना की गई थी. हजारों साल पहले बनी इस इमारत की ऊंचाई 450 फीट तक बताई जाती है. मिस्त्र के देवता फराओ (Pharos) की याद में बना यह प्रकाश स्तंभ अब एक इतिहास बन कर रह गया है.


Statue of Zeus at OlympiaStatue of Zeus at Olympia- ओलम्पिया में जियस की मूर्ति (यूनान): ओलम्पिया में जियस की मू्र्ति प्राचीन विश्व का सात आश्चर्यो में से एक है. इस मूर्ति का निर्माण यूनानी मूर्तिकार फ़िडी्यास ने ईसा से 432 साल पहले किया था. इस मूर्ति को यूनान के ओलम्पिया में स्थित जियस के मंदिर (Temple of Zeus, Olympia, Greece) मे स्थापित किया गया था. इस मूर्ति में जियस को बैठी हुई अवस्था में दिखाया गया था. मूर्ति की उंचाई 12 मीटर थी. आग की वजह से इस इमारत को भी अब सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही देख सकते हैं.


Mausoleum of HalicarnassusMausoleum of Maussollos at Halicarnassus – हैलिकारनेसस का मकबरा (तुर्की): हैलिकारनेससमें बनी यह इमारत 150 फीट ऊंची है और एक मकबरे की आकृति में है. 623 ईसा पूर्व इस इमारत की रचना की गई थी.

मौसोलस (Mausolus) नामक शासक के द्वारा बनवाई गई इस इमारत को उसके याद के रुप में जाना जाता है.


Temple of Artemis at EphesusTemple of Artemis at Ephesus – आर्तिमिस का मंदिर(तुर्की): गीक्र देवता अर्तिमिस (Greek goddess Artemis) को समर्पित इस मंदिर को बनने में 120 साल लगे थे. कई हमलों की वजह से मूल मंदिर तो तबाह हो गया था.

दुबारा एलेक्जेंडर द ग्रेट (Alexander the Great) ने इसे बनवाया पर फिर एक हमलावर ने इसे नष्ट कर दिया.


Colossus of Rhodesरोड्‌स के कोलोसस की मूर्ति (यूनान): यूनान की एक और वास्तु कला को विश्व के सात अजूबो में गिना जाता था. रोड्‌स के कोलोसस की मूर्ति करीब 300 ईसा पूर्व निर्मित हुई थी. यह राजा रोड्‌स की साइप्रस के राजा पर मिली जीत की खुशी में बनाई गई थी. नष्ट होने से पहले इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग 30 मीटर थी जो इसे विश्व की सबसे बड़ी इमारत बनाती थी. भूकंप की वजह से यह इमारत भी इतिहास में दफन हो गया.


अक्षरधाम मंदिर 21वीं सदी के सात अजूबों में शामिल

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