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बीस साल बाद भी याद हैं वो लम्हें

कुछ दिन ऐसे होते हैं जो हमेशा के लिए यादों में बस जाते हैं और जब उन दिनों को सालों बाद भी याद किया जाता है तो सुकून दे जाते हैं. कुछ ऐसा ही इनके साथ भी हुआ. साल 1993 में 12 नंवबर के दिन बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ‘बाजीगर’ रिलीज हुई और इस फिल्म के रिलीज होते ही शाहरुख खान की किस्मत बदल गई.


जब शाहरुख खान ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा था तो उन्हें लगता था कि उनके चेहरे में रोमांटिक एक्टर बनने वाली कोई बात नहीं है इसलिए उन्हें केवल खलनायक का किरदार निभाने का ही मौका मिल सकता है. 12 नंवबर साल 1993 को बाजीगर फिल्म रिलीज हुई जिसमें लोगों ने शाहरुख खान के अभिनय को बेहद पसंद किया. यहां तक कि कुछ निर्देशकों ने यह तक कहा कि शाहरुख खान खलयानक का किरदार ही नहीं बल्कि रोमांटिक एक्टर के किरदार को भी बेहतरीन तरीके से निभा सकते हैं. आप सोच रहे होंगे कि हम बीस साल और एक दिन पुरानी बात को क्यों याद कर रहे हैं. दरअसल फिल्म बाजीगर को बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुए बीस साल हो चुके है.

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bazigarशाहरुख खान ने बीस साल पहले के दिनों को याद करते हुए ट्विटर पर लिखा कि “बाजीगर फिल्म करना मेरे लिए चुनौती थी. आज इस फिल्म को रिलीज हुए 20 साल हो चुके है. अब्बास-मस्तान, काजोल, शिल्पा (शेट्टी) और राखी जी (राखी गुलजार) का शुक्रिया. अभी भी हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं”. शाहरुख खान की इस बात से वो समय याद आ गया कि जब शाहरुख खान ने ‘आपकी अदालत’ में कहा था कि वो अपनी जिंदगी में एक वाक्य को बहुत महत्व देते हैं और वो यह है कि ‘हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते है’. इस एक वाक्य में इतनी शक्ति है कि व्यक्ति यदि इस वाक्य में यकीन रखता हो तो कभी भी अपनी जिंदगी में हार नहीं मान सकता है और जब तक हार ना मानी जाए तब तक हार होती नहीं है.


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shahrukh khan in baazigar


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