14 अगस्त की सुबह हिन्दी फिल्मों के एक सूरज को ले डूबी. हिन्दी सिनेमा जगत में याहू बॉय के नाम से मशहूर शम्मी कपूर की किडनी फेल होने की वजह से मौत हो गई. शम्मी पिछले कुछ वर्ष से डायलिसिस पर थे. उन्हें सप्ताह में कम से कम तीन बार डायलिसिस कराना पड़ता था. वह पिछले कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे और उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
शम्मी कपूर का जीवन
21 अक्तूबर, 1931 को जन्मे शम्मी कपूर का असली नाम शमशेर राज कपूर था. वह पृथ्वीराज कपूर के दूसरे बेटे थे और राज कपूर और शशि कपूर के भाई थे. मुंबई के कपूर खानदान में जन्मे शम्मी कपूर को फिल्मी दुनिया तो जैसे विरासत में मिली थी.
उन्होंने थियेटर के ज़रिए अभिनय की दुनिया में क़दम रखा. फिल्मों में आने से पहले शम्मी कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिएटर से जूनियर आर्टिस्ट के रूप में 1948 में जुड़े थे. चार साल तक मंजने के बाद उन्होंने 1952 में पृथ्वी थिएटर छोड़ा.
शम्मी कपूर का कॅरियर
शम्मी कपूर ने वर्ष 1953 में फिल्म ‘ज्योति जीवन’ से अपनी अभिनय पारी की शुरुआत की. हर अच्छे अभिनेता की तरह उन्हें भी शुरू में ‘रेल का डिब्बा’, ‘लैला मजनू’, ‘ठोकर, ‘शमा’, ‘परवाना’, ‘हम सब चोर हैं’ जैसी कई असफल फिल्मों के दौर से गुजरना पड़ा. कपूर को सफलता का स्वाद 1957 में मिला जब उनकी फिल्म ‘तुमसा नहीं देखा’ को दर्शकों ने सराहा.
शम्मी कपूर के जीवन में 1961 सबसे सफल साल रहा. इस साल उनकी फिल्म ‘जंगली’ आई जिसमें उनकी याहू शैली और “चाहे मुझे कोई जंगली कहे” गाने ने उन्हें रातोंरात स्टार का दर्जा दिला दिया. इस गाने की लोकप्रियता आज भी बरकरार है.
शम्मी कपूर ने इसके बाद ‘प्रोफेसर’, ‘चाइना टाउन’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘कश्मीर की कली’, ‘ब्लफ मास्टर’, ‘जानवर राजकुमार’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘बदतमीज’, ‘एन ईवनिंग इन पेरिस’, ‘प्रिंस’ और ‘ब्रह्मचारी’ जैसी कई सफल फिल्में की.
शम्मी कपूर की उपलब्धियां
1968 में उन्हें ‘ब्रह्मचारी’ के लिए श्रेष्ठ अभिनय का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला. चरित्र अभिनेता के रूप में शम्मी कपूर को 1982 में विधाता फिल्म के लिए श्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मिला.
कई फिल्म समीक्षक शम्मी कपूर की सफलता का श्रेय मोहम्मद रफी द्वारा गाए गए गानों और शंकर जयकिशन के संगीत को देते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनकी फिल्मों के जरिए दर्शकों ने तेज धुन पर आधारित गानों को काफी पसंद किया. इसके अलावा शम्मी कपूर की संगीत की समझ उनके लिए काफी मददगार साबित हुई.
शम्मी कपूर ने 1955 में लोकप्रिय अभिनेत्री गीता बाली से शादी की और इसे वह अपने जीवन का महत्वपूर्ण मुकाम मानते थे. गीता बाली ने संघर्ष के दौर में उन्हें काफी प्रोत्साहन दिया. उनका वैवाहिक जीवन लंबा नहीं रहा क्योंकि गीता बाली का 1966 में निधन हो गया. बाद में शम्मी ने दूसरा विवाह नीला देवी (Neela Devi Gohil) से 1969 में किया.
आज हमारे बीच शम्मी कपूर नहीं हैं लेकिन एक अभिनेता के तौर पर उनकी कला हमेशा लोगों के दिलों पर राज करेगी. शम्मी कपूर की सबसे बड़ी खासियत थी कि बिंदास और बदमाश होते हुए भी उनके द्वारा निभाए गए किरदार अश्लील और अमर्यादित नहीं लगते थे. आने वाला समय ऐसे ही कलाकारों की मांग करता है जो दर्शकों को अपने अभिनय से हंसाने और रुलाने दोनों का माद्दा रखता हो.
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