‘जिंदगी झंड बा फिर भी घमंड बा’….ये डायलॉग है भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रवि किशन का. आज की तारीख में शायद ही ऐसा कोई हो जो उन्हें ना जानता हो, हर कोई उनकी जबरदस्त अभिनय प्रतिभा का कायल है. भोजपुरी फिल्मों के वो बादशाह हैं, जहां उनकी फिल्मों का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. भोजपुरी सिनेमा के अपने दस साल के सफर में वो आज भी मजबूती के साथ अपने मुकाम पर कायम हैं. रवि ने बॉलीवुड की फिल्मों में भी अभिनय किया है, लेकिन इस चमकते सितारे के पीछे है लंबा संघर्ष है और वो आग में तपकर कुंदन बने हैं.
बचपन से ही था एक्टर बनने का सपना
सपने वही, जो साकार हो जाए. रवि किशन भी जब गांव की गलियों में घूमते थे, तो उनका सपना था कि वो भी बड़े पर्दे पर नजर आएं. लोग उनके लिए भी तालियां और सीटियां बजाएं और दुनिया उन्हें जानें. फिल्मों से रवि को लगाव तो था, लेकिन इसका सफर उतना ही कठिन था.
रामलीला में सीता का रोल करते थे
अपने एक्टिंग के जुनून में रवि ने सीता के किरदार को भी हां कर दिया. दरअसल ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब वो छोटे थे तो बेहद गोरे थे और नाटक मंडली में जब काम मांगने जाते थे, तो लोग अक्सर उन्हें लड़की का रोल दे दिया करते थे और ऐसे ही एक दिन उन्हें रामलीला सीता का किरदार भी मिल गया.
पिता के गुस्से की वजह से छोड़ा घर
जहां एक तरफ रवि खुद को अभिनेता के तौर पर निखार रहे थे, वहीं उनके पिताजी को ये काम बेहद खटक रहा था. उनके पिता चाहते थे कि रवि पढ़ाई में ध्यान लगाए, नाचने-गाने से जीवन नहीं चलेगा. एक दिन गुस्से में आकर उनके पिता ने उनकी पिटाई की जिसके बाद उनकी मां उन्हें 500 रुपये देकर मुंबई भाग जाने को कहा.
मुंबई में सोना पड़ा भूखे पेट
रवि भागकर मुंबई तो आ गए थे, लेकिन ना उनके पास रहने को घर था और ना ही खाने को खाना. उनके पैसे भी अब खत्म होने लगे थे. रवि ने उस दौरान छोटे-मोटे काम भी किए और उन पैसों से खाना खाते और जहां जगह मिलती वहीं सो जाते. कई बार काम न मिलने की वजह से वो रात को भूखे भी सो जाते थे.
बस टिकट खरीदने के नहीं थे पैसे
काम की तलाश में रवि अक्सर पैदल घूमा करते थे, क्योंकि उस दौरान उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो बस से सफर कर सकें, कहीं जाना होता तो पैदल ही निकल पड़ते थे. धीरे-धीरे रवि के पास पैसे आने लगे और उन्होंने अपना एक किराए का छोटा सा घर मुंबई में लिया.
मुंबई के एक चॉल में लिया घर
मेहनत से जब रवि के पास कुछ पैसे आने लगे, तो उन्होंने खुद के लिए मुंबई की एक चॉल में घर ले लिया. खाने में वो अक्सर दो रुपए का बड़ा पाव खाते थे. सालभर मेहनत करने के बाद आखिरकार उन्हें वो मौका मिला जिसकी उन्हेंं तलाश थी.
1991 में आई पहली फिल्म
सालभर धक्के खाने के बाद आखिरकार रवि को 1991 में फिल्म ‘पितांबर’ में काम करने का मौका मिला. यह फिल्म कुछ खास नहीं चली, लेकिन रवि को छोटे मोटे किरदार मिलने लगे. इसके बाद रवि ने काजोल के साथ फिल्म’ उधार की जिंदगी’ और शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘आर्मी’ में काम किया.
टीवी पर शुरु किया काम
रवि को धीरे-धीरे ही सही पहचान मिलने लगी थी और अब उन्हें टीवी सीरियल ‘हैलो इंस्पेक्टर’ में काम मिला. रवि की किस्मत तब खुली जब उन्हें सलमान की सुपरहिट फिल्म ‘तेरे नाम’ में काम करने का मौका मिला. इस फिल्म में उन्होंने पंडित का किरदार किया था और यहीं से उनका एक नया सफर शुरू हुआ.
भोजपुरी फिल्मों के आने लगे ऑफर
रवि को भोजपुरी फिल्म ‘सईया हमार’ में काम करने का मौका मिला. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता उनके कदमों में आती रही. रवि ने अबतक करीब भोजपुरी की 350 से अधिक फिल्मों में काम किया है.
बिग बॉस का बन चुके हैं हिस्सा
‘जिंदगी झंड बा फिर भी घमंड बा’….ये डायलॉग पहली बार रवि किशन ने बिग बॉस में ही बोला था और उन्हें यहां से एक अलग पहचान मिली थी. उनके गानों पर आज हर कोई झूमता हुआ नजर आता है. इतना ही नहीं आज रवि के पिता भी उनके मुकाम को देखकर बेहद खुश हैं…Next
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