रब्बा इश्क न होवे और अल्ला के बंदे हंस दे.. से गीत-संगीत की दुनिया में पहचान बनाने वाले कैलाश खेर ने बहुत कम समय में ही अपना मुकाम बना लिया. आज कैलाश खेर की गिनती भारतीय सिनेमा के बेहतरीन गायकों में होती है. सिर्फ देश ही नहीं विदेशों में भी कैलाश खेर की तूती बोलती है. उन्होंने हॉलिवुड फिल्म ‘कपल्स रिट्रीट’ में अपनी गायिकी से सबको प्रभावित किया है. कैलाश खेर की सुरीली आवाज ने उन्हें ख्याति और सफलता दिलाई लेकिन एक समय ऐसा भी था जबकि व्यवसाय में सब कुछ गंवा देने के बाद इस चर्चित गायक ने आत्महत्या के बारे में सोचा था.
मेरठ के रहने वाले हैं कैलाश
मेरठ में जन्मे कैलाश खेर को बचपन से ही गाने का शौक था, उनके पिता पंडित मेहर सिंह खेर पुजारी थे और अक्सर घरों में होने वाले इवेंट में ट्रेडिशनल फोक गाया करते थे. जब वह महज बारह साल के थे, तभी से उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेनी आरम्भ कर दी थी. कैलाश ने बचपन में पिता से ही संगीत की शिक्षा ली.
14 साल की उम्र में छोड़ा घर
कैलाश खेर ने संगीत को अपना बनाने के लिए महज 14 साल की उम्र में ही घर को छोड़ दिया था. कैलाश ने म्यूजिक क्लास में अपना नाम लिखवा लिया और पेट भरने के लिए उन्होंने लोगों विदेशी स्टूडेंट्स को म्यूजिक का ट्यूशन भी दिया करते थे, जिससे वो करीब 150 रुपये कमा लेते थे. म्यूजिक क्लास में उन्होंने ज्यादा वक्त नहीं दिया और उसके बाद खुद से संगीत सिखना शुरू कर दिया. कैलाश ने महान संगीतकारों के गानों को सुनकर संगीत की शिक्षा ली, जिसमें से प्रमुख थे पंडित कुमार गंधर्व, पंडित भीमसेन जोशी, पंडित गोकुलोत्सव महाराज.
सुसाइड करना चाहते कैलाश
डिप्रेशन में जा चुके थे और सुसाइड करना चाहते थे. इस दौरान वो काम की तलाश में सिंगापुर और थाइलैंड भी गए और 6 साल वही बिताए.
5 हजार रुपये में किया काम
कैलाश वापस दिल्ली आकर परिवार के साथ रहने लगे और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अपने आगे की पढ़ाई शुरू की. उसके बाद फिर से वो साल 2001 में दिल्ली से मुंबई चले गए. मुंबई में उनके दोस्त राम संपत ने उन्हें काम दिया जिसके लिए उन्हें करीब 5 हजार रुपये मिले जो उस वक्त कैलाश के लिए बेहद जरुरी थे. कैलाश के पास उस दौर में आवाज के सिवा कुछ नहीं था, वो एक झुग्गी में रहे. कैलाश के पास जो काम आता वो कभी ना नहीं कहते, उनके पास उस वक्त टीवी और रेडियो के लिए कई विज्ञापन आते थे. कैलाश ने उस दौरान कोका कोला, सिटीबैंक, पेप्सी, आईपीएल और होंडा मोटरसाइकिल के लिए अपनी आवाज दी थी.
अंदाज फिल्म से मिली खास पहचान
आखिरकार साल 2003 में कैलाश को पहली बार बॉलीवुड में गाना गाने का मौका मिला. ‘अंदाज’ फिल्म में उन्होंने ‘रब्बा इश्क ना होवे’ में आवाज दी, जो उस दौर का सबसे सुपरहिट और चार्टबस्टर गाना साबित हुआ था. इसके बाद उन्होंने फिल्म वैसा भी होता है में ‘अल्ला के बंदे हम ‘ गाने में आवाज दी, जो उनका अबतक का सबसे प्रसिद्ध और हिट गानों में से एक है.
एक गाने की है इतनी फीस
कैलाश ने अन्ना आंदोलन के दौरान अपनी आवाज में गाना गाया था, इसके साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी वो गा चुके हैं. कैलाश ने हिंदी ही नही बल्कि कन्नड़ और तेलुगु सिनेमा में भी गा चुके हैं वो एक गाने के करीब 12- 15 लाख लेते हैं…Next
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