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देवदास की ‘पारो’ नहीं रहीं

suchitra_senसाल 1955 की ‘देवदास’ फिल्म में पारो का किरदार निभाकर लोकप्रिय होने वाली अभिनेत्री सुचित्रा सेन लंबे समय से बीमार चल रही थीं. आज शुकवार सुबह 8.25 मिनट पर कोलकाता में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. बीती रात उनकी हालत काफी नाजुक हो गई थी. अपने अंतिम दिनों में सुचित्रा सेन कोलकाता के वेल व्यू अस्पताल में भर्ती थीं. डॉक्टरों के अनुसार 82 वर्षीय सेन बहुत कमजोर हो गई थीं और उनके गुर्दे ने काम करना भी बंद कर दिया था. उन्हें लगातार ऑक्सीजन थैरेपी, चेस्ट फिजियोथेरेपी और नेबुलाइजेशन पर रखा जा रहा था.

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सुचित्रा सेन बॉलीवुड में अपनी सादगी और अभिनय के लिए मशहूर थीं. उन्होंने साल 1952 में बांग्ला फिल्म ‘शेष कोठाई’ से अपना फिल्मी सफर शुरू किया और साल 1955 में आई हिंदी फिल्म ‘देवदास’ से उन्हें एक बेहतर अभिनेत्री के रूप में पहचान मिली. ‘देवदास’ फिल्म के लिए इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. अभिनेत्री सुचित्रा सेन पहली ऐसी भारतीय अभिनेत्री थीं जिन्हें किसी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में सम्मानित किया गया. उन्हें साल 1963 के मास्को फिल्म समारोह में ‘सात पाके बंध’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया. सुचित्र सेन का फिल्मी कॅरियर बेहतर चल रहा था पर उन्होंने एकांत में अपना जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया. साल 2005 में सार्वजनिक रूप से दिखाई नहीं देने को तरजीह देते हुए कथित तौर पर सुचित्रा सेन ने दादा साहब फाल्के पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था. गौरतलब है कि 50 के दशक की इस अभिनेत्री ने अपने शानदार अभिनय से हिंदी सिनेमा में एक अलग ही जगह बनाई थी.


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