आज के दौर में भले ही फिल्मों के बनने में महज कुछ दिन लगते हैं, लेकिन एक दौर ऐसा भी था, जब एक फिल्म को बनाने में सालों लग जाते थे. क्लासिक फिल्म ‘मुगले-आजम’ को बनने में 9 साल लगे तो वहीं ‘पाकीजा’ 14 साल में बनकर तैयार हुई. हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक ऐसी फिल्म भी है, जिसको बनने में पूरे 20 साल से भी ज्यादा वक्त लगा.
‘मुगल-ए-आजम‘ के तर्ज पर बनाना चाहते थे लव स्टोरी
मुगल-ए-आजम’ के बाद के.आसिफ इसी कहानी पर एक भव्य फिल्म बनाना चाहते थे. उन्होंने ‘लव एंड गॉड’ बनानी चाही मगर इसको बनाने की कोशिश अपने आप में एक कहानी बन गई और 1963 में शुरू की गई इस फिल्म को आखिरकार कई मौतों और उतार-चढ़ाव के बाद 1986 में अधूरा ही रिलीज करना पड़ा.
के. आसिफ बना चुके हैं लैला मजनू
1960 के दशक में निर्माता-निर्देशक के. आसिफ ने अपनी फिल्म ‘मुगले आजम’ की कामयाबी के बाद लैला-मजनू की मोहबब्त पर एक फिल्म ‘लव एंड गॉड’ बनाने का फैसला किया.
गुरुदत्त थे फिल्म के हीरो
ये फिल्म के. आसिफ की पहली कलर फिल्म भी थी. 1960 में इस फिल्म के लिए गुरुदत्त और निमी को साइन किया गया. फिल्म का निर्माण जैसे ही शुरू हुआ कोई ना कोई मुसीबत सामने आती ही रही. 10 अक्टूबर 1964 को अचानक गुरुद्त का निधन हो गया, जिसकी वजह से फिल्म का काम बीच में ही अटक गया. गुरुदत्त के निधन के बाद के. आसिफ ने संजीव कुमार को फिल्म में साइन किया और फिल्म की शूटिंग शुरू की.
निर्देशक आसिफ की भी हो गई मौत
1971 में फिर इस फिल्म पर एक और मुसीबत आई, जब फिल्म के निर्माता-निर्देशक के आसिफ खुद ही दुनिया छोड़कर चले गए. आसिफ के निधन के बाद ये फिल्म करीब-करीब डब्बे में बंद हो गई.
20 साल बाद फिल्म हुई रिलीज
‘लव एंड गॉड’ को रिलीज किया गया.
हीरो और हीरोईन की बनी आखिरी फिल्म
ये फिल्म नौशाद और रफी की आखिरी फिल्म थी, फिल्म की हिरोइन विमी की भी ये आखिरी फिल्म थी और खास बात ये है कि इस फिल्म के हीरो संजीव कुमार भी इस फिल्म को नहीं देख पाए. रिलीज से पहले ही संजीव कुमार भी इस दुनिया में नहीं रहे..Next
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