फोन की घंटी बजी. ब्रूस ली ने फोन उठाया. उधर से किसी ने अपना परिचय दिया जिससे ली को पता चला कि वह फोन हांगकांग के सबसे बड़े न्यूज पेपर से किसी सज्जन का था. ब्रूस जैसे सेलिब्रिटी के लिए यह फोन कॉल कोई बडी बात नहीं थी. हालांकि ली ने हैरानी जैसे भाव दिखाए नहीं लेकिन एक जिंदा आदमी वह भी इतने बड़े सेलिब्रिटी से यह सवाल करना हैरानी भरा था था. ली के कॉल उठाते ही उनके कानों में जो शब्द पड़े वह थे, “क्या ब्रूस ली जिंदा हैं?”. पर जवाब भी सवाल के रूप में ही मिले. उसी सवालिया अंदाज में ली का जवाब, “अंदाजा लगाओ कि तुम बात किससे कर रहे हो?” और इस तरह अखबार की ओर से उस कॉल करने को वाले को कंफर्म हो गया कि ली जिंदा हैं.
ब्रूस ली खराब परफॉर्मेंस के कारण हमेशा स्कूल से निकाल दिए जाते थे, हालांकि मां-बाप पढ़ाना चाहते थे लेकिन पढ़ाई में कभी रुचि पैदा ही नहीं हुई. ‘द टाइगर्स ऑफ जंक्शन स्ट्रीट’ के उस गैंग लीडर ‘ली जन फन’ से उसका पूरा स्कूल परेशान था, पुलिस परेशान थी. एक वक्त ऐसा था जब ली के स्ट्रीट गैंग ने इतना उत्पात मचाया कि ली के पिता को पुलिस ने वार्निंग दे दी कि अगर ली ने स्कूल में एक और फाइट की तो वह उसे जेल में डाल देंगे. तब ली के पिता को ली की सुरक्षा के लिए हांगकांग छोड़ना पड़ा.
हांगकांग की गलियों में अपने स्कूल गैंग के साथ मारपीट करने वाले उस गैंग के लीडर के इतना बड़ा स्टार और मार्शल आर्ट का सम्राट पुरुष बनने की बात किसी ने सोची भी नहीं थी. पर अपने आप में वह हमेशा से अनोखा था. उसके लिए दुनिया में लिमिट जैसी कोई चीज नहीं थी. “कोई रास्ता नहीं अपनाना ही रास्ता है और खुद को किसी लिमिटेशन में नहीं बांधना ही लिमिटेशन है”, मात्र 32 साल की उम्र जीकर किसी के लिए कभी न छू सकने वाला आसमान बनाकर जाने वाले ली की सफलता का मंत्र शायद यही था.
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अगर ब्रूस ली को मार्शल आर्ट्स का सुपरमैन कहा जाए तो भी तारीफ ज्यादा नहीं कही जा सकती. आधा अमेरिकी, आधा चीनी और आधा जर्मन, अधिकांश लोग यही जानते हैं कि ब्रूस ली अमेरिकी लेकिन चीनी मूल के थे पर एक बड़ा सच यह भी है कि ली जर्मन भी थे. ली के पिता चीनी पर मां ‘ग्रेस’ जर्मन पिता और चाइनीज मां की बेटी थीं. मतलब ली के नाना तो चीनी लेकिन नानी जर्मन थीं. इस तरह ली में अमेरिकी, चीनी और जर्मन तीनों देशों के अंश थे.
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पिता हांगकांग ओपेरा में कॉमिक आर्टिस्ट थे पर मां बेहद अंधविश्वासी. 27 जनवरी, 1940 को चाइना टाउन, सैन फ्रांसिस्को में जन्में ली के जन्म से पहले भी उनके एक बेटा हुआ था जो बच नहीं सका. मां को लगता था कि यह सब किसी आत्मा के साए के कारण है इसलिए आत्मा को कंफ्यूज करने के लिए (भटकाने के लिए) उन्हें पहले लड़कियों वाला नाम दिया गया ‘साई फन’ और बाद में दुबारा जुन फन के नाम से नामकरण किया गया. ‘जुन फन’ ही ली का असली और आधिकारिक नाम है जो उनके माता-पिता ने उन्हें दिया था, इसका अर्थ था ‘लौटकर आना’. ‘ब्रूस ली’ नाम ‘ली’ को यूं ही मिल गया. ली की मां के फीजिशियन ने उन्हें यह निकनेम (पुकार नाम) दिया था जो बाद में पॉपुलर हो गया.
बस एक हाथ, वह भी बस इंडेक्स फिंगर या अंगूठे से पुश अप्स करने की सोचना शायद ही किसी के बस की हो पर ऐसे ‘पुश अप्स’ ब्रूस के डेली एक्सरसाइज की खासियत थी. मार्शल आर्ट में तो प्रसिद्धि मिली ही पर कम ही लोग जानते हैं कि वह वीडियो गेम्स के दीवाने थे. वीडियो गेम्स में वह कई बार अवार्डेड भी रहे. बचपन से ही अपनी पसंद का करने और भीड़ में सबसे आगे रहने की आदत को बरकरार रखते हुए मात्र 32 साल की छोटी उम्र में अपनी मौत के विवाद को वश में करना उनके वश में नहीं था. आज भी ली की मौत कैसे हुई किसी को नहीं पता. कई लोग इसके कई कारण बताते हैं लेकिन यह विवादित है.
एक रात किसी फिल्म की शूटिंग के बाद अपनी को-स्टार के साथ लौटते हुए ली उसके घर गए. वहीं उससे सिर दर्द की दवा मांगकर खाई. दवा खाने के बाद ली को तबीयत ठीक नहीं लगी और थोड़ी देर वहीं आराम करने के लिए बिस्तर पर लेटे पर उसके बाद उठ नहीं सके. कुछ का मानना है कि ली के दिमाग में पानी भर जाने से उनकी मौत हुई लेकिन कुछ के अनुसार दर्द निवारक दवाइयों का एलर्जिक रिएक्शन ली की मौत का कारण बनी.
मात्र 28 साल की उम्र में ली के बेटे ब्रैडन ली की भी एक फिल्म की शूटिंग करते हुए ही मौत हुई. उसकी मौत भी विवादास्पद है. कहते हैं कि एक एक्शन शूट में ब्रैडन को गुंडों से लड़ते हुए गोलियां खानी थीं. पिस्तौल में नकली गोलियां होती हैं पर जब वह गोली चली तो उससे चली हुई बुलेट असली थी और उससे ब्रैटन की मौत हो गई. पिस्तौल में नकली गोलियों की जगह असली गोलियां कहां से आईं यह आज भी विवादित है. पर ऐसा माना जाता है कि ली के परिवार को कोई शाप है जिसके कारण इस परिवार के बेटे कम उम्र में ही मर जाते हैं.
सच जो भी हो लेकिन ब्रूस ने इतनी छोटी उम्र में जिस ऊंचाई को छुआ साधारणतया किसी के लिए नामुमकिन सा लग सकता है. सबसे बड़ी बात कि जो भी किया अपने रास्ते बनाते हुए, न कि किसी की तरह बनने की कोशिश करते हुए. “मैं उन लोगों से नहीं डरता जो एक बार में दस हजार किक्स की प्रैक्टिस करते हैं, पर हां, मैं उन लोगों से जरूर डरता हूं जो एक किक को दस हजार बार प्रैक्टिस करते हैं”, ली के यह वक्तव्य मेहनत और विश्वास के लिए उनकी नजर की तरफ साफ इशारा करते हैं.
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