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ना जाने कौन सा जादू था उनकी प्रेम कहानी में

yash chopraएक नहीं बहुत सी ऐसी प्रेम कहानियों को दिखाया जिसे देख आखें भीग गईं या दिल रो पड़ा. क्या इनके पास प्रेम कहानियों का खजाना था? हां, शायद इनके पास प्रेम कहानियों का खजाना था इसलिए हर बार एक नई प्रेम कहानी को पर्दे पर उतारा जिसकी तारीफ करोड़ो दर्शक आज भी करते हैं. यहां यश चोपड़ा की बात हो रही है. इन्होंने अपनी तमाम जिंदगी को खूबसूरती की नजर से जिया और वही खूबसूरती अपने काम, अपनी कलाकारी में बखूबी उकेरा.


यश चोपड़ा का जन्म 27 सितंबर, 1932 को लाहौर में हुआ था जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है. आजादी के बाद यश चोपड़ा भारत आ गए थे. उनके बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा बॉलिवुड के जाने-माने निर्माता निर्देशक थे और अपने बड़े भाई की प्रेरणा पर ही यश चोपड़ा ने भी फिल्मों में अपना हाथ आजमाया. यश चोपड़ा को आज भी हिन्दी सिनेमा में ‘किंग ऑफ रोमांस’ कहा जाता है.

तेरी आंखों का कैदी हूं, मोहब्बत काम है मेरा


21 अक्टूबर, 2012 को जब यश चोपड़ा ने अंतिम बार सांस ली उसी दिन बॉलीवुड की दुनिया में एक उदासी सी छा गई थी पर आज भी उन्हें उनकी फिल्मों के लिए याद किया जाता है. कहने को तो यश चोपड़ा ने अपने हिन्दी सिनेमा के सफर के दौरान 40 फिल्मों का निर्माण और 21 फिल्मों का निर्देशन किया है पर कुछ फिल्में ऐसी हैं जिनकी कहानी और निर्देशन हजारों साल बाद भी याद किया जाएगा.


साल 1965 ‘वक्त’: एक नया नजरिया

फिल्म ‘वक्त’ साल 1965 में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई. यही वो फिल्म थी जिसमें यश चोपड़ा ने निर्देशन कर इस बात को साबित कर दिया था कि वो नए नजरिए से निर्देशन करने में विश्वास रखते हैं.


फिल्म वक्त से पहले हिन्दी सिनेमा की अधिकांश फिल्मों में एक प्रेमी जोड़े की प्रेम कहानी दिखाई जाती थी पर फिल्म वक्त में यश चोपड़ा ने एक नहीं बल्कि कई मशहूर सितारों को एक साथ लेकर इस फिल्म का निर्देशन किया.


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बॉलीवुड को दो सुपरस्टार देने वाला निर्देशक


साल 1972 ‘दाग’: यशराज बैनर की पहली फिल्म

फिल्म ‘दाग’ यशराज बैनर के तले बनने वाली पहली फिल्म थी क्योंकि इससे पहले यश चोपड़ा अपने बड़े भाई बी. आर. चोपड़ा के बैनर तले फिल्में निर्देशित करते थे. फिल्म दाग अंग्रेजी फिल्म ‘सनफ्लॉवर’ से प्रेरित थी और इस फिल्म में सामाजिक नियमों को चुनौती देते हुए दिखाया गया था.


साल 1975 ‘दीवार’: अमिताभ का कॅरियर बुलंदियों पर

साल 1975 में दीवार फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर रिलीज होते ही अमिताभ बच्चन का फिल्मी कॅरियर बुलंदियों पर पहुच गया था. दो भाइयों की कहानी पर आधारित थी फिल्म दीवार जिसमें एक भाई कानून का रखवाला और दूसरा भाई कानून का मुज़रिम था. इस कहानी को यश चोपड़ा ने बेहतरीन तरीके से पर्दे पर पेश किया था.


साल 1978 ‘त्रिशूल’: निर्देशन की कसावट

साल 1978 को बॉक्स ऑफिस पर त्रिशूल फिल्म रिलीज हुई और यह फिल्म उस समय की ब्लॉकबस्टर फिल्म थी. इस फिल्म को देखने के बाद दर्शकों को इस बात का अंदाजा हो गया कि यश चोपड़ा की फिल्म निर्देशन में अच्छी पकड़ है क्योंकि फिल्म में एक नाजायज बेटे के अपने पिता से बदला लेने की कहानी को जिस कसावट के साथ उन्होंने पर्दे पर पेश किया था वो निर्देशन तारीफ के लायक है.


silsilaसाल 1981 ‘सिलसिला’: एक दर्द भरी कहानी

साल 1981 में सिलसिला फिल्म की कहानी देख दर्शकों को अमिताभ की निजी जिंदगी की दर्द भरी कहानी का अहसास हुआ. रेखा, जया और अमिताभ को एक फिल्म में लाने का मुश्किल काम यश चोपड़ा ने किया जिस कारण सिलसिला फिल्म की कहानी को एक नया मोड़ मिल सका.


साल 1991 ‘लम्हे’: जोखिम मोल लेकर बनाई गई फिल्म

साल 1991 में रिलीज हुई फिल्म लम्हे की कहानी काफी जोखिम भरी थी क्योंकि हिन्दी सिनेमा में इस फिल्म से पहले कभी भी ऐसी कहानी को आधार बनाकर फिल्म निर्देशित करने के बारे में किसी निर्देशक ने सोचा तक नहीं था. लम्हे फिल्म की कहानी में एक लड़की को अपनी मां के प्रेमी से प्यार हो जाता है और इस फिल्म में अनिल कपूर और श्रीदेवी का जबरदस्त अभिनय था.


साल 1993 ‘डर’: युवा पर आधारित फिल्म

साल 1993 में डर फिल्म युवा पर आधारित थी. जैसे दीवार ने अमिताभ बच्चन के फिल्मी कॅरियर में पंख लगा दिए थे वैसे ही डर ने शाहरुख खान को बॉलीवुड की बुलंदियों तक पहुंचाया.


साल 1997 ‘दिल तो पागल है’: रोमांस का नया जादू

साल 1997 में बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई फिल्म ‘दिल तो पागल है’ से पहले साल 1995 में रिलीज हुई यश चोपड़ा की फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म बनी पर इस फिल्म से यश चोपड़ा एक फिल्म निर्माता के रूप में जुड़े थे. एक निर्देशक के रूप में साल 1993 के बाद साल 1997 में बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘दिल तो पागल है’ रही थी. यह यश चोपड़ा की वो फिल्में हैं जिन्हें आज तक भी बॉलीवुड में भुलाया नहीं जा सका है.

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