एक बार जिस जोक्स को सुन लिया जाए उस जोक्स पर दोबारा हंसी नहीं आती है. कुछ ऐसा ही इस फिल्म में दिखाया गया है. ‘ग्रैंड मस्ती’ फिल्म को आप सिनेमाघरों में हंसने के लिए जरूर देखने जाएंगे पर आपकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा. साल 2004 में रिलीज हुई फिल्म ‘मस्ती’ तो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही थी पर इसका सीक्वेल ‘ग्रैंड मस्ती’ कुछ अटपटी फिल्म है.
आप सोच रहे होंगे कि हम फिल्म ‘ग्रैंड मस्ती’ की कहानी को अटपटी क्यों कह रहे हैं. दरअसल फिल्म में कुछ सीन ऐसे हैं जो दर्शकों की समझ में नहीं आएंगे और कुछ जोक्स इतने पुराने हैं जो दर्शकों ने अपने बचपन के दिनों में सुने होंगे.
फिल्म ‘ग्रैंड मस्ती’
कलाकार: विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख, आफताब शिवदासानी, मंजरी फडणीस, करिश्मा तन्ना, सोनाली कुलकर्णी, ब्रूना अब्दुल्ला, मरयम जकारिया, कायनात अरोरा, सुरेश मेनन
निर्देशन: इंद्र कुमार
निर्माता: अशोक ठाकरिया, इंद्र कुमार
संगीतकार: आनंद राज आनंद
रेटिंग: 1 ½ स्टार
फिल्म की कहानी: ‘ग्रैंड मस्ती’
फिल्म की कहानी शुरू होती है तीन दोस्तों से. अमर, प्रेम और मीत (रितेश, आफताब और विवेक ओबेरॉय) अपनी अपनी पत्नियों से बोर हो चुके होते हैं. फिल्म की कहानी में इस बोरियत की पूरी ज़िम्मेदारी उन्हीं पत्नियों पर थोप दी गई है, जो अपने पतियों का दिल नहीं जीत पाती हैं. फिल्म की शुरुआत में ही तीनों दोस्त नए जमाने की ए,बी,सी,डी पढ़ाना शुरू करते हैं और उसी दैरान कॉलेज के री-यूनियन फंक्शन में जाते हैं जहां उनकी आंखें खूबसूरत लड़कियों से जा मिलती हैं. फिल्म में बेकार तरीके से लड़कियों को पटाने के सीन चलते रहते हैं.
फिल्म निर्देशन: कॉमेडी के नाम पर घटिया तड़का
यह कहने में देर नहीं लगानी चाहिए कि कॉमेडी के नाम पर दर्शकों को घटिया किस्म का मजाक दिखाया गया है. जहां एक तरफ आज दामिनी बलात्कार कांड को लेकर कोर्ट का फैसला आया है कि चारों बलात्कारियों को फांसी की सजा दे दी जाए ऐसे में सिनेमाघरों में लगी फिल्म ‘ग्रैंड मस्ती’में लड़कियों को आधार बनाकर बनाए गए घटिया जोक्स पर हंसी आ पाना थोड़ा कठिन है. वैसे भी निर्देशन तो बाद की बात है फिल्म की कहानी में भी दम होना चाहिए और ‘ग्रैंड मस्ती’ फिल्म की कहानी पूरी तरह ‘0 स्टार’ की है.
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