गुरुदत्त बहुमुखी प्रतिभा के धनी थें इस बात में किसी को शक नहीं है पर दो नावों पर एक साथ सवार होने के कारण उन्होंने अपना जीवन दुखमयी बना लिया. गुरुदत्त की जिंदगी का लव ट्राएंगल आज भी उनके चाहने वालों के लिए किसी रहस्य की तरह है. गुरुदत्त को पहली ही नजर में गीता दत्त से मोहब्बत हो गई. दोनों के बीच नजदीकियां इस कदर हो चुकी थी कि वो एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते थे इसलिए उन्होंने शादी करने का फैसला लिया.
गीता और गुरुदत्त फिल्म ‘बाजी’ की शूटिंग के समय एक-दूसरे के करीब आए थें और साल 1953 में दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद गुरु दत्त की फिल्में हिट होने लगी जबकि गीता का करियर ढलान पर आ गया.
गुरुदत्त का नाम धीरे-धीरे हिन्दी सिनेमा की दुनिया में सितारों की तरह चमक रहा था इसी इसी बीच उनकी जिंदगी नें वहीदा आईं. वहीदा को सितारा बनाने की जिम्मेदारी गुरु दत्त ने ले ली लेकिन वहीदा को सितारा बनाते-बनाते वो कब खुद गुरु के दिल का सितारा बन गईं ये शायद दोनों को ही पता नहीं चला.
वहीदा और गुरुदत्त ने एक-दूसरे को अपना दिल तो दे दिया पर दुनिया के सामने अपने प्यार का इजहार करने डरते रहे. सुर्खियों में दोनों के रिश्ते को लेकर खबरे चलती रहती थी इसी बीच गीता दत्त, गुरुदत्त से खफा हो गईं. इस बीच गुरुदत्त गीता और वहीदा में से किसी एक को चुनना नहीं चाहते थें. उन्होंने दो नावों में एक साथ सवार होने की कोशिश की.
10 अक्टूबर साल 1964 को गुरुदत्त ने शायद इस उलझन से बचने के लिए खुदकुशी कर ली. यह आत्महत्या की उनकी तीसरी कोशिश थी. वहीदा रहमान गुरुदत्त की जिंदगी में होते हुए भी ना के बराबर थीं और उनकी पत्नी गीता के विश्वास को वो कभी वापस नहीं पा सकते थे इसलिए उन्होंने मौत को ही गले लगाना बेहतर समझा. आज गुरुदत्त को दुनिया से अलविदा कहे 49 वर्ष हो गए है पर अब भी उनके जैसा बहुमुखी सितारा हिन्दी सिनेमा को नहीं मिला.
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