मेरे पास मां है…….दीवार फिल्म का यह डायलॉग आज तक कोई नहीं भूल पाया. जिस तेवर के साथ फिल्म के हीरो शशि कपूर ने यह संवाद बोला था उनकी जगह कोई और होता तो शायद कभी वह भाव अपने चेहरे पर ही ना ला पाता. पर्दे पर अपनी मनमोहक मुस्कान का जादू बिखेरने वाले शशि कपूर का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ता जा रहा है. शशि कपूर की तबियत लगातार गिरती जा रही है और बढ़ती उम्र के कारण शशि कपूर कई बीमारियों से ग्रसित हैं तथा पिछले काफी समय से व्हील चेयर पर ही हैं.
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लेकिन बॉलिवुड के इस लोकप्रिय कलाकार की बीमारी शारीरिक से कहीं अधिक मानसिक है. शशि कपूर के नजदीकी लोगों का कहना है कि वह अकेलेपन के कारण नैराश्य का जीवन जी रहे हैं. उनका जीवन पूरी तरह तन्हा है और यही तन्हाई उन्हें अंदर से खोखला कर रही है.
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वरिष्ठ फिल्म समीक्षक जय प्रकाश चौकसे का कहना है कि समाज से अलग और कटकर रहने का निर्णय शशि कपूर का अपना है. वह अकेला और नितांत व्यक्तिगत जीवन जीना चाहते हैं. संसार में रहते हुए भी सबसे अलग रहने का निर्णय उनका अपना था जबकि फिल्म उद्योग तो उन्हें हमेशा से ही काम और सम्मान देने के लिए तैयार रहा है. यश चोपड़ा अपनी फिल्म ‘वीर जारा’ में एक सशक्त भूमिका क प्रस्ताव लेकर शशि कपूर के पास गए थे परंतु उन्होंने मना कर दिया. इतना ही नहीं पिछले कई दशकों से वह किसी समारोह में शामिल नहीं हुए हैं.
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शशि कपूर ने कुछ महीने पहले ही अपना 74वां जन्मदिन मनाया था. उल्लेखनीय है उनके बड़े भाई शम्मी कपूर ने उन्हीं के कहने पर ही रॉकस्टार फिल्म में एक छोटा सा रोल किया था. जहां एक ओर शम्मी कपूर कठिनाइयों और व्याधियों के बावजूद अपने जीवन को भरपूर जिया करते थे वहीं उनके छोटे भाई शशि कपूर ने खुद को तन्हाई और खामोशी के लिहाफ में स्वयं को कैद कर लिया है.
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अभिनय के अलावा शशि कपूर ने 1980 में अपनी प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत की और बतौर निर्माता उन्होंने जुनून, कलयुग, 36 चौरंगी लेन, विजेता, उत्सव जैसी फिल्मों का निर्माण किया था. 1991 में उन्होंने अजूबा फिल्म का निर्माण किया. इस फिल्म के नायक अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर थे.
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