गया जमाना जब महानगर या किसी खास कस्बे में बनने वाली फिल्मों की संख्या बेहद कम होती थी. अब तो एक के बाद एक ऐसी तमाम फिल्में आ रही हैं जिनकी पृष्टभूमि महानगरों पर आधारित है. दिल्ली 6 से शुरु हुआ सफर अब तक पीपली लाइव, मेट्रो, इश्किया, यमला पगला दिवाना, टर्निंग 30 से होता हुई धोबी घाट तक पहुंच गयी है.
किसी एक खास शहर या गांव-कस्बे की नब्ज पकड़ती यह फिल्में दर्शकों में एक अलग ही रोमांच पैदा करती हैं जहां वह अपने आप को फिल्मों से जोड़कर देखने लगते हैं. फिल्म “दिल्ली 6” में चांदनी चौक और उसके आसपास के इलाके का चित्रण किया गया था जिसे दर्शकों ने खूब सराहा. फिल्म दिल्ली में चली भी बहुत तो वहीं पीपली लाइव में एक गांव के सामान्य से जनजीवन को जनता तक पहुंचाने के कार्य को लोगों ने खूब सराहा. “नो वन किल्ड जेसिका” में हम सबने दिल्ली की कहानी को एक बार फिर अपनी आंखो के सामने देखा. और आमिर खान “धोबी घाट” के जरिए मुबंई की नब्ज को टटोलते नजर आ रहे हैं.
इसी तरह हाल ही में रिलीज हुई कई फिल्में किसी न किसी खास गांव, महानगर या जिले पर आधारित हैं. ऐसी फिल्मों में निर्देशक उस जगह की आम जनता को बाकी लोगों तक पहुंचाते हैं. सच्ची घटनाओं और आज के परिवेश पर आधारित सिनेमा की इस तरह होने वाली वृद्धि ने इतना तो संकेत दे ही दिया है कि अब दर्शक बदल रहे हैं बेशक उनकी संख्या बहुत कम ही क्यूं न हो.
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