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जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं.
-भगत सिंह
मेरा धर्म देश की सेवा करना है.
-भगत सिंह
प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं.
-भगत सिंह
देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं.
-भगत सिंह
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है.
-भगत सिंह
यदि बहारों को सुनना है तो आवाज को बहुत जोरदार होना होगा. जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मारना नहीं थ. हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था. अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आजाद करना चहिए.
-भगत सिंह
किसी को ‘क्रांति’ शब्द की व्याख्या शाब्दिक अर्थ में नहीं करनी चाहिए. जो लोग इस शब्द का उपयोग या दुरूपयोग करते हैं उनके फायदे के हिसाब से इसे अलग अलग अर्थ और अभिप्राय दिए जाते हैं.
-भगत सिंह
जरूरी नहीं था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो. यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था.
-भगत सिंह
आम तौर पर लोग जैसी चीजें हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं. हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है.
-भगत सिंह
जो व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी.
-भगत सिंह
मैं इस बात पर जोर देता हूं कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूं पर जरूरत पड़ने पर मैं ये सब त्याग सकता हूं, और वही सच्चा बलिदान है.
-भगत सिंह
अहिंसा को आत्म-बल के सिद्धांत का समर्थन प्राप्त है जिसमें अंतत: प्रतिद्वंदी पर जीत की आशा में कष्ट सहा जाता है. लेकिन तब क्या हो जब ये प्रयास अपना लक्ष्य प्राप्त करने में असफल हो जाएं? तभी हमें आत्मबल को शारीरिक बल से जोड़ने की ज़रुरत पड़ती है ताकि हम अत्याचारी और क्रूर दुश्मन के रहमो करम पर ना निर्भर करें.
-भगत सिंह
किसी भी कीमत पर बल का प्रयोग ना करना काल्पनिक आदर्श है और नया आंदोलन जो देश में शुरू हुआ है और जिसके आरम्भ की हम चेतावनी दे चुके हैं वो गुरु गोबिंद सिंह और शिवाजी, कमाल पाशा और राजा खान , वाशिंगटन और गैरीबाल्डी, लाफायेतटे और लेनिन के आदर्शों से प्रेरित है.
-भगत सिंह
इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसा कि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे.
-भगत सिंह
व्यक्तियों को कुचल कर उनके विचारों को नहीं मार सकते.
-भगत सिंह
कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है जब तक वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे.
-भगत सिंह
क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है. स्वतंत्रता सभी का एक कभी न खत्म होने वाला जन्मसिद्ध अधिकार है. श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है.
-भगत सिंह
निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं.
-भगत सिंह
मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है.
-भगत सिंह
Best Quotes of Bhagat Singh in Hindi
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