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इस बार अफ्रीका के लिए

FIFA 2010
FIFA 2010
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है दुनिया, है दुनिया बड़ी गो़ल है.

है इसमें, है इसमें बड़ा झोल है

फिर भी भागते हैं हम चौकोर

एक गो़ल के पीछे

क्योंकि दुनिया बड़ी गो़ल है

बस कुछ घंटे और फिर पूरी दुनिया के लोगों को एक अलग सा बुखार छाने वाला है, सड़के सूनी होने वाली हैं, ऑफिस जल्दी बंद हो जाएंगे, लोग अपने-आप को अपने-अपने घरों में समेट लेंगे. कुछ लोग नारंगी पोशाक पहनेगें तो कुछ लोग साम्ब की धुन में नाचेंगे, कुछ लोग बाफना-बाफना चिल्लाएंगे तो कुछ लोग कैरोल गाएंगे क्योंकि शुरू होने वाला है फीफा विश्व कप 2010 : दक्षिण अफ्रीका में, जो कहलाएगा “एक महाकुंभ अब अफ्रीका में”.

फुटबॉल विश्व कप दुनियां हिलाने की क्षमता रखता है. लोग इससे जुड़ कर गौर्वान्वित महसूस करते हैं. अगर हम इसके आकार की बात करें तो इस बार के विश्व कप को दुनिया भर के 214 देशों की करीब 2.63 अरब जनसंख्या देखेगी. लाखों की संख्या में लोग अपनी मनपसंद टीम और अपने राष्ट्र का प्रोत्साहन बढाने के लिए दक्षिण अफ्रीका पहुंच रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका के लोगों के लिए यह एक अवसर है, जब वह पूरे विश्व को अपनी मुस्कान के साथ गले लगा कर स्वागत कर रहा है.

वुवुज़ीला की कोलाहल
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वुवुज़ीला जिसे हम लेपाटाटा भी कहते हैं एक किस्म का स्टेडियम होर्न है. करीबन एक मीटर लम्बा यह वाद्ययंत्र यंत्र अफ्रीकावासियों द्वारा मैच के दौरान बजाया जाता है. इस यंत्र की खास बात यह है कि इससे निकलने वाली ध्वनि स्टेडियम में सर्वाधिक शोर करती है, जिसकी माप 123 डेसीबल से भी अधिक होती है. अगर आप फुटबॉल विश्व कप देखने दक्षिण अफ्रीका जा रहे हैं तो अपने कान के प्रति सावधानी बरतना ज़रुरी हो जाता है.

TOPSHOTS-FBL-WC2010-ENTERTAINMENT-MUSICविश्व कप को शकीरा की भेंट

आज कल सभी की ज़ुबान पर हिंदी फिल्मों के गाने नहीं बल्कि विश्वप्रसिद्ध पार्श्व गायिका शकीरा का गाना “दिस टाइम फॉर अफ्रीका” है जो उन्होंने खास फुटबॉल विश्व कप को समर्पित किया है. इस गाने में आप 1998 विश्व के फाइनल के अंश देख सकते हैं जब फ्रांस के गो़लकीपर बार्थेज़ ने डी के अंदर ब्राज़ील के स्टार खिलाड़ी रोनाल्डो को गिराया था. इसके अलावा आप इस विश्व कप के महारथियों को भी वीडियो में देख सकते हैं. यह गाना मुख्यतया आपसी मतभेदों को मिटाकर फुटबॉल के रंग में रंग जाने की हिमायत करता है, यह कहता है कि आओ अब हो जाएं हम मदहोश, खो जाएं इस खेल में, जो बहता है संगीत की तरह और जिसका दीवाना पूरा संसार है.

दिवानगी की हद से पार
दिवानगी की हद से पार
भारतीयों की दीवानगी

भले ही 1950 में मौका गंवाने के बाद भारत कभी भी फुटबॉल विश्व में क्वालीफाई करने में नाकामयाब रहा है परन्तु भारत में इस खेल के दीवानों की कमी नहीं है. भारत के अलग-अलग प्रान्तों में कहीं काका और कहीं रोनाल्डो की धूम है तो कहीं मैसी और रूनी का होहल्ला है. भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान बंगाल शेर सौरभ गांगुली (दादा) कहते हैं कि वह विश्व कप का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं और हर बार की तरह वह इस बार भी ब्राज़ील का समर्थन कर रहे हैं. महानगरों में नाइट्स पार्टियों का आयोजन किया जा रहा है जहाँ आप नाच-गाने के साथ फुटबॉल का मज़ा भी ले सकते हैं. सही मायनों में पूरा देश फुटबॉल के रंग में रंगता जा रहा है.

अब तक दक्षिण अफ्रीका ने विश्व के बहुत सारे महत्वपूर्ण और बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया है परन्तु फुटबॉल विश्व कप इन सब आयोजनों में सबसे भव्य है जो आर्थिक रूप से दक्षिण
अफ्रीका को अरबों का मालिक बना देगा और सांस्कृतिक रूप से यह अफ्रीकन संस्कृति को विश्व के सामने लाने के लिए विशिष्ट पटल का कार्य भी करेगा.

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