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11 जून को जोहानसबर्ग को देख ऐसा लगता था कि जैसे अफ्रीका में होली और दिवाली एक ही दिन मनायी जा रही हो जहाँ पूरा दक्षिण अफ्रीका फुटबाल के रंग में रंग गया था वहीं दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े फुटबॉल स्टेडियम साकर सिटी को देख फीफा विश्व कप की भव्यता और विशालता का अवलोकन किया जा सकता था. साकर सिटी स्टेडियम को देख ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे अफ्रीका महाद्वीप के देशों की संस्कृति एक साथ मिल कर अपनी विभिन्नता परन्तु अखंडता का प्रचार कर रही हो. संसार 2010 के फीफा विश्व कप के उद्घाटन समारोह के महासमर के रस में सराबोर हो गया था.
इससे पहले पाप स्टार शकीरा ने अपने मनमोहक नृत्य और गायन के द्वारा सभी का दिल जीत लिया था. मनमोहक उन्होंने अपने प्रसिद्ध गाने “दिस टाइम फार अफ्रीका” की तान पर अपनी कमर लचकाई.
फीफा विश्व कप का शंखनाद
भव्य रंगारंग समारोह के बाद वुवुज़ीला का कोलाहल पूरे साकर सिटी स्टेडियम में गूजने लगा क्योंकि मस्ती के बाद यह समय था खेल का जहाँ ग्रुप ए के पहले मुकाबले में मेजबान दक्षिण अफ्रीका का सामना लैटिन अमेरिकी देश मैक्सिको से था. दक्षिण अफ्रीका फीफा की सूची में विश्व की 83 नंबर की टीम है वहीं मेक्सिको का नंबर 17 है परन्तु इसके बावजूद आलोचकों की माने तो इस मैच को कांटे का होने की सम्भावना थी.
सीटी बजने के कुछ क्षणों बाद ही मेक्सिको ने मैच पर आधिपत्य दिखाना शुरू कर दिया और दोनों छोरों से बारी-बारी आक्रमण किया परन्तु दक्षिण अफ्रीका के कप्तान आरोना मोकोएना वाली मध्य-पंक्ति ने अपनी रक्षा-पंक्ति के साथ मिलकर मेक्सिको के सभी आक्रमण रोक दिए. मैच के 34वें मिनट में मेक्सिको को एक सुन्दर अवसर मिला और मेक्सिको ने गो़ल भी कर दिया परन्तु गो़ल करने वाले मेक्सिको के आक्रमण खिलाड़ी वेला आफ़-साइड पाए गए. इस घटना से सजग होते हुए अफ्रीका ने अपना खेल बदलते हुए पहले हाफ के अंत के 10 मिनट आक्रमण किये परन्तु उनके यह प्रयास सफल नहीं हुए. पहला हाफ मेक्सिको के नाम रहा जहाँ उनको 3 के मुकाबले 4 कॉर्नर मिले, वहीं 60% बाल मेक्सिकन खिलाड़ियों के पास थी.
रोमांचक दूसरा हाफ
दूसरे हाफ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों को देख ऐसा लगता था की उनको कोई उर्जा का स्त्रोत मिल गया है. पहले मिनट से ही इंग्लिश क्लब एवेर्टन और दक्षिण अफ्रीका राष्ट्रीय टीम के विंगर स्टीवन पीनार ने दाईं तरफ़ से एक के बार एक आक्रमण किए, वहीं मेक्सिको के खिलाड़ी भी पीछे नहीं रहे और उन्होंने भी आक्रमण किए परन्तु 59वें मिनट में दक्षिण अफ्रीका को काउंटर आक्रमण करने का मौका मिला और उनके मध्य-पंक्ति के खिलाड़ी सिफीवे शबालाला ने इस मौके का पूरा फ़ायदा उठाया और एक शानदार गो़ल कर दक्षिण अफ्रीका टीम को 1-0 की बढत दिला दी और पूरा साकर सिटी स्टेडियम ‘बाफना बाफना’ की गूंज और वुवुजेला भोंपू के शोर में डूब गया. एक गो़ल खाने से बाद मेक्सिकन टीम की खिलाड़ी आहत से लग रहे थे और अब वह किसी भी तरह यह गो़ल उतारना चाहते थे.
खेल का 62वें मिनट मेक्सिको की गो़ल करने की मंशा तब नाकामयाब हो गयी जब अफ्रीकन गो़लकीपर इटूमेलेंग ने डॉस सैंटोस के करारे आक्रमण से बेहतरीन बचाव किया. मैच के 79वें मिनट ऐसा लगा जैसे की साकर सिटी स्टेडियम में भूकंप आ गया हो और पूरा स्टेडियम सन्न था जब आंद्रेस गौरडाडो के क्रास को बार्सिलोना के खिलाड़ी मारक्वेज ने गो़ल के अंदर डाल दिया और स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया. खेल के 90वें मिनट में दक्षिण अफ्रीका को मैच जीतने का सुनहरा मौका मिला जब उनके स्ट्राइकर कैटलेगो माफेला दो रक्षकों को छकाकर आगे बढ़े लेकिन बाएं पांव से जमाया गया उनका शाट कोण बनाते हुए गोलपोस्ट से टकरा कर बाहर हो गया और इस तरह दोनों टीमों को ड्रा से संतोष करना पड़ा.
उरुग्वे ने रोका फ्रांस को
ग्रुप ए का दूसरा परन्तु महत्वपूर्ण मुकाबला उरूग्वे और 1988 के विजेता फ्रांस के बीच खेला गया. 4-4-2 और दक्षिण अमेरिकन पद्धति से खेलने वाली उरूग्वे टीम के मुख्य हथियार उनके स्ट्राइकर डिएगो फोरलैन और लूइस सूरेज थे. वहीं फ्रांस का हर एक खिलाड़ी अपने में स्टार है. 4-3-3 की यूरोपियन पद्धति से खेलने वाली फ्रांसीसी टीम ने इस बार अपने मुख्य खिलाड़ी थिएरी हेनरी की जगह चेलसी के स्ट्राइकर अनेल्का को खिलाया. शुरू से ही दोनों टीमें संभलकर खेल रही थीं. जहां उरूग्वे के खिलाड़ियों का मुख्य कार्य फ्रैंक रिबेरी को रोकना था वहीं फ्रांस को पता था कि डिएगो फोरलैन को मिला कोई भी मौका उनकी जीत पर रोड़ा पैदा कर सकता है. अगर हम पहले हाफ को देखे तो दोनों टीमों ने बराबर का खेल खेला.
दूसरे हाफ में भी दोनों टीमों ने शुरुवात संभलकर की परन्तु जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा दोनों टीम के खेलने के तरीके में तेज़ी दिखाई देने लगी. इन्हीं आक्रमण के चलते उरूग्वे को 65वें मिनट बहुत अच्छा मौका मिला जब लूइस सूरेज ने अपने सीने से डी के अंदर गेंद को फोरलैन की तरफ़ ढकेला परन्तु फोरलैन ने फुटबॉल को बाहर मार दिया. इसी बीच दोनों टीमों के कोचों ने कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए. जहाँ फ्रांस ने थिएरी हेनरी और फ्लोरेंट मालोडा को उतारा वहीं उरूग्वे ने निकोलस लोडेरो को मैदान पर उतरा. परन्तु लोडेरो 2010 विश्व कप के पहले खिलाड़ी बने जिनको लाल कार्ड दिखाया गया और मैदान में आने के छः मिनट के अंदर उनको बाहर जाना पड़ा.
आखिरी के दस मिनट उरूग्वे को दस खिलाड़ियों से खेलना पड़ा तो ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अब शायद फ्रांस गो़ल कर दे परन्तु उरूग्वे की रक्षा-पंक्ति ने फ्रांस के सभी प्रयासों को बेकार दिया. इस तरह यह मैच भी 0-0 से ड्रा खत्म हुआ.
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