वंदे मातरम्
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जिन हाथों में कलम चाहिए उन हाथों में
बर्तन है
कैसे सबका कहना मानूँ दया जगत का
दर्शन है,
कुछ सपने मैंने भी देखे थे पढ़ने और
लिखने के
अब नसीब में मेरे केवल चौका,पोंछा
बर्तन है।
कुछ उम्मीदें दुनिया से हैं कुछ अधिकार
हमें भी दे दो,
सबको तो दुलराते रहते थोड़ा प्यार
हमें भी दे दो ,
मुझे भी पढ़ना अच्छा लगता जो दुनिया
का दर्शन है ,
जिन हाथों में कलम चाहिए उन हाथों में
बर्तन है .
-अभिषेक शुक्ल
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