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अमेरिका में जामा तलाशी – सुरक्षा नीति या मुस्लिमों के खिलाफ साजिश ?

जागरण जंक्शन फोरम
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बोस्टन हवाई अड्डे पर उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को रोककर की गई पूछताछ अब धीरे-धीरे तूल पकड़ती जा रही है। एक तरफ जहां इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि अमरीका में हर किसी को आव्रजन संबंधी कड़े कानूनों का सामना करना पड़ता है। खुर्शीद के अनुसार अगर इससे हटकर कुछ होता है तो सरकार केवल विशिष्ट व्यक्ति ही नहीं बल्कि हरेक नागरिक का मसला उठाएगी। वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और स्वयं यूपी के शहरी विकास मंत्री आजम खान ने आरोप लगाया है कि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के इशारे पर बोस्टन एयरपोर्ट पर उनके साथ बदसलूकी हुई है। कांग्रेस ने इस मसले पर आजम खां के इस बयान को बेतुका करार दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि समाजवादी पार्टी के एक नेता और उत्तर प्रदेश के सौर ऊर्जा मंत्री देवेंद्र गुप्ता ने पार्टी रुख से अलग स्टैंड अपनाते हुए कहा कि यदि अमेरिका के बोस्टन हवाई अड्डे पर कैबिनेट सहयोगी आजम खान की टटोल कर तलाशी ली गई तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने इसे अमेरिकी नियमों के तहत की गई कार्रवाई बताया।


गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने मंत्री आजम खान के साथ हॉवर्ड विश्वविद्यालय में कुंभ मेले पर एक व्याख्यान देने गए थे, लेकिन गत सप्ताह बुधवार को आजम खान के साथ बोस्टन हवाई अड्डे पर की गई संक्षिप्त पूछताछ के बाद दोनों ने विरोध स्वरूप हॉर्वर्ड के व्याख्यान का बहिष्कार कर दिया।


इस मसले पर कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है कि इससे पहले भी अमरीका में भारत के कई नागरिकों जिसमें फिल्मी हस्तियां और कई वरिष्ठ राजनीतिज्ञ शामिल हैं, की सुरक्षा के नाम पर जामा तलाशी की गई है इसलिए इस मसले को तूल देने की जरूरत नहीं है। बुद्धिजीवियों के मुताबिक यह अमरीकी जांच प्रणाली का एक स्वरूप है और किसी भी देश को उसकी जांच व्यवस्था के खिलाफ सवाल नहीं उठाना चाहिए। इनका कहना है कि अमरीका के आतंरिक सुरक्षा जांच प्रणाली से केवल विदेशियों को ही नहीं बल्कि वहां के वरिष्ठतम राजनीतिज्ञों और प्रशासकों को भी गुजरना पड़ता है। ऐसे में जब आजम खान जैसे नेताओं का मसला सामने आता है तब वहां व्यक्तिगत अहंकार और भारतीय राजनीति की परंपरागत तानाशाह शैली उजागर होती है।


जबकि वहीं बुद्धिजीवियों एक दूसरा वर्ग भी है जो इससे बिलकुल भी इत्तेफाक नहीं रखता। उनका मानना है कि अमरीका द्वारा भारतीय राजनीतिज्ञों और फिल्म हस्तियों, जिनके नाम के आगे खान लगा हुआ है या वे नाम से मुस्लिम प्रतीत होते हों, उन्हें बेहद ही अपमान ढंग से जांच प्रक्रिया से गुजारा जाता है। मूल रूप से यह सुरक्षा से कहीं ज्यादा मुस्लिम समुदाय की प्रताड़ना और अपमान से जुड़ा मामला है। अमेरिका बार-बार ऐसा करके पूरी दुनिया के मुस्लिमों को संदेश देना चाहता है कि उन्हें उसकी रजामंदी से चलना होगा।


उपरोक्त दोनों पक्षों को समझने और विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने उपस्थित हैं, जैसे:


1. क्या यह वाकई अमरीका की सुरक्षा नीति है या फिर मुस्लिमों के खिलाफ सोची-समझी साजिश ?

2. क्या आजम खान जैसे नेता इस मसले को उठाकर चुनावी फायदा उठाना चाहते हैं?

3. ऐसी क्या वजह है कि अमरीका मुस्लिमों को अपनी सुरक्षा नीति का सबसे अहम मुद्दा मानता है?

4. क्या आजम खान के इस मुद्दे से केंद्र सरकार की सेहत पर असर पड़ेगा?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


अमेरिका में जामा तलाशी – सुरक्षा नीति या मुस्लिमों के खिलाफ साजिश ?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “अमरीका की सुरक्षा नीति” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व परिवार की जिम्मेदारी – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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