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एक ओर हजारों निहत्थे देशभक्तों का जन समूह, शांतिपूर्वक सत्याग्रह में संलिप्त और दूसरी ओर बर्बर, नृशंस, अत्याचारी और भ्रष्ट सरकार का दमनकारी कृत्य ! दिल्ली के रामलीला मैदान का वह खौफनाक मंजर किसी का भी दिल दहला देने के लिए काफी है. निर्दोष महिलाओं, बच्चों और मासूम सत्याग्रहियों के साथ हुआ अत्याचार ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए जलियांवाला बाग कांड की याद दिलाता है.
प्रख्यात योगगुरु बाबा रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध आयोजित शांतिपूर्ण सत्याग्रह अभियान सरकार के लिए कितना खतरनाक हो चला था ये इसी बात से जाहिर है कि उसने रात के अंधेरे में आंदोलनकारियों के ऊपर बर्बरतापूर्ण कार्यवाही कर डाली और बाबा रामदेव व समर्थकों के ऊपर तमाम आरोपों की झड़ी लगा दी. शायद सरकार को ये अंदेशा हो गया कि योगगुरु द्वारा चलाया गया अभियान उसके भ्रष्टाचारी कृत्यों का पर्दाफाश कर देगा और फिर परिणाम स्वरूप उसकी सत्ता के खिलाफ जनविद्रोह हो सकता है.
हाल ही में अन्ना हजारे द्वारा जंतर मंतर पर जनलोकपाल कानून के समर्थन में किए गए आंदोलन की परिणति से पूरा देश वाकिफ है. सरकार ने कूटनीतिक चाल चलते हुए सभी मांगों को मानने का आश्वासन तो दे दिया और एक समिति का गठन भी कर दिया. किंतु उसने फूट डालने की मंशा से समिति के सदस्यों के बीच ही मतभेद के बीज बो दिए ताकि जनलोकपाल कानून के लिए तैयार होने वाला ड्राफ्ट लचर और प्रभावहीन हो जाए.
ठीक इसी तरह बाबा रामदेव द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध आयोजित आमरण अनशन आंदोलन के विरुद्ध आनन-फानन में सरकार द्वारा की गयी कार्यवाही तमाम ऐसे सवाल खड़े करती है जिनका जवाब पूरे देश की जनता जानना चाहती है. ऐसे सवालों में प्रमुख निम्नलिखित हैं:
लोकतांत्रिक देश की सरकार को शांतिपूर्ण सत्याग्रह के विरुद्ध तानाशाही रवैय्या अपनाने की जरूरत क्यों पड़ी?
क्या देशभक्तों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन करने का अधिकार नहीं है?
क्या बाबा रामदेव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा है जिससे डरकर सरकार को ऐसी कायराना कार्यवाही करने की जरूरत पड़ी?
और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि यदि कोई सरकार शांतिपूर्ण ढंग से संचालित जन अभियान और सत्याग्रह आंदोलन को क्रूरतापूर्ण तरीके से दबाती है तो फिर राष्ट्र, भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध किस तरह का कदम उठाए?
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से राष्ट्रहित और व्यापक जनहित के इसी मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है. इस बार का मुद्दा है:
भ्रष्टाचार सत्याग्रह और बर्बर दमन !!
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जारी कर सकते हैं.
नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें. उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “आंदोलन से सरकार की घबराहट” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व आंदोलन से सरकार की घबराहट – Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें.
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गयी है. आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं.
धन्यवाद
जागरण जंक्शन टीम
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