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वरिष्ठों को दरकिनार करने के पीछे भाजपा की मंशा क्या है?

जागरण जंक्शन फोरम
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पार्टी के हालिया कदमों से उपेक्षित महसूस करने के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने बाड़मेर, राजस्थान से स्वतंत्र प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनावों के लिए अपना नामांकन दाखिल कर पार्टी के प्रति अपनी नाराजगी स्पष्ट कर दी है। जसवंत सिंह, भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक निर्णयों से खुश नहीं थे और कहीं ना कहीं उन्हें ये आभास भी होने लगा था कि पार्टी द्वारा उन्हें दरकिनार किया जाने लगा है। जसवंत सिंह अकेले नहीं हैं जिन्हें भाजपा ने उपेक्षित किया है। इससे पहले लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज जैसे कई बड़े नेता पार्टी के निर्णयों से असंतुष्ट नजर आ चुके हैं। ऐसे में ये मुद्दा एक बड़ी बहस का विषय बन गया है कि वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने के पीछे आखिरकार आरएसएस और भाजपा की क्या मंशा है?


एक पक्ष है जो इसे पूर्ण रूप से भाजपा का रणनीतिक मुद्दा कह रहा है क्योंकि भविष्य को ध्यान में रखते हुए भाजपा ऐसी पीढ़ी विकसित करना चाहती है जो ऊर्जावान हो और नई पीढ़ी के प्रवेश के लिए वरिष्ठों को जगह बनानी होगी। यही भविष्य की जरूरत और पार्टी की सफलता के लिहाज से महत्वपूर्ण भी है।


वहीं दूसरी ओर विपक्ष के पास सवाल काफी बड़े हैं। इनका कहना है कि आरएसएस की रणनीति कॉरपोरेट हाउस के संचालन जैसी हो गई है जहां संगठन और सदस्यों के बीच संबंध एम्प्लायर और एम्प्लाई का होता है। वरिष्ठ और अनुभव से ओत-प्रोत नेताओं, जो पार्टी का चेहरा बन चुके हैं, को दरकिनार कर जनाधार विहीन नेताओं को मुख्यधारा में शामिल करने का मतलब यही है कि पार्टी अपने से ऊपर किसी चेहरे की लोकप्रियता को बर्दाश्त नहीं कर सकती। वहीं दूसरी ओर सवाल यह भी है क्या ये सब लालकृष्ण आडवाणी और उनके समर्थकों को कमजोर या बाहर करने के लिए अपनाया गया हथकंडा है। विपक्ष में बैठे बहुत से लोग तो यह भी मानने लगे हैं कि आरएसएस और भाजपा मोदी के विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को खामोश करना चाहते हैं इसलिए वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर पॉलिटिकल मैनेजर्स को बढ़ावा दिया जाने लगा है।


उपरोक्त मुद्दे के दोनों पक्षों पर गौर करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना नितांत आवश्यक है, जैसे:

1. क्या नई पीढ़ी को मौका देने के लिए वरिष्ठ नेताओं को नजरअंदाज करना जरूरी है?

2. यह तर्क कि लालकृष्ण आडवाणी के समर्थकों को कमजोर करने के लिए आरएसएस ऐसे हथकंडे अपना रहा है, कितना सही है?

3. भविष्य को ध्यान में रखते हुए आरएसएस जो निर्णय ले रहा है वह यदि भाजपा के लिए सही हैं तो इसमें किसी अन्य को क्या समस्या हो सकती है?

4. राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए कभी सख्त कदम उठाने पड़ते हैं, ऐसे में आरएसएस या भाजपा को किस हद तक गलत कहा जा सकता है?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


वरिष्ठों को दरकिनार कर क्या साबित करना चाहती है भाजपा?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “वरिष्ठों को दरकिनार कर क्या साबित करना चाहती है भाजपा?”  है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व “वरिष्ठों को दरकिनार कर क्या साबित करना चाहती है भाजपा?” – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।


2. पाठकों की सुविधा केलिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


3. अगर आपने संबंधित विषय पर अपना कोई आलेख मंच पर प्रकाशित किया है तो उसका लिंक कमेंट के जरिए यहां इसी ब्लॉग के नीचे अवश्य प्रकाशित करें, ताकि अन्य पाठक भी आपके विचारों से रूबरू हो सकें।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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