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राष्ट्रहित के मुद्दे पर धर्म और समुदाय की राजनीति!

जागरण जंक्शन फोरम
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भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल विधेयक लाए जाने का अन्ना हजारे का आंदोलन बड़ी तेजी से देशभर में फैला। हालांकि कई लोग थे जो इसके कुछ प्रावधानों और अनशन के तरीके को लेकर विरोध में भी थे। विरोध के इन स्वरों को धार्मिक व जातीय रंग भी मिल गया जब लोकपाल बिल के खिलाफ दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी और दलित नेता डॉ. उदित राज के अलग-अलग बयान सामने आए। शाही इमाम ने जहां इस आंदोलन पर इस्लाम विरोधी होने का आरोप लगाया वहीं उदित राज ने इस मुहिम का विरोध इस आधार पर किया कि अन्ना की टीम में कोई दलित प्रतिनिधि शामिल नहीं है।


इमाम बुखारी ने मुसलमानों को अन्ना हजारे के आंदोलन से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि अन्ना के आंदोलन में भारत माता की जय और वंदे मातरम जैसे नारे लग रहे हैं। यह इस्लाम के खिलाफ है क्योंकि यह मजहब किसी देश या भूमि की इबादत करने की इजाजत नहीं देता। ऐसे में मुसलमानों को इस आंदोलन से दूर रहना चाहिए।


वहीं इंडियन जस्टिस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने अन्ना टीम द्वारा बनाए गए जनलोकपाल बिल का खुलकर विरोध किया। डॉ. उदित राज कहते हैं “अन्ना हजारे के सभी साथी सवर्ण समुदाय के हैं। इस टीम में कोई भी दलित जाति का नहीं है इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसे सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त नहीं है।” यही कारण है कि डॉ. उदित राज और उनके समर्थक बहुजन लोकपाल बिल की बात कर रहे हैं जो अन्ना हजारे और सरकार के लोकपाल बिल से स्वरूप में भिन्न होगा।


मुस्लिम समुदाय के तमाम प्रतिनिधियों सहित समाज के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों और कई अन्य संगठनों ने शाही इमाम व डॉ. उदित राज के बयानों का बेबाकी से विरोध किया। विरोध करने वालों का कहना था कि भ्रष्टाचार से समाज के सभी वर्गों और धर्मों के लोग समान रूप से पीड़ित हैं। ऐसे में अन्ना हजारे की मुहिम के विरोध का क्या औचित्य हो सकता है?


ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की प्रमुख शाइस्ता अंबर ने तो इस बयान को लेकर खुलकर बुखारी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता कि बुखारी ने यह बयान क्यों दिया। उनके इस बयान से असमंजस की स्थिति पैदा होगी। उनका बयान पूरी तरह से अनुचित है। देश की एक प्रमुख इस्लामी संस्था जमात-ए-इस्लामी हिंद ने भी इस बात से असहमति जताई है कि आंदोलन में मुसलमानों को शामिल नहीं होना चाहिए।


इसी प्रकार डॉ. उदित राज द्वारा बहुजन लोकपाल बिल की बात करने सहित भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रहे आंदोलन के दरमियान दलित मुद्दा उठाए जाने की भी आलोचना हो रही है। विरोधी डॉ. उदित राज पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।


इस पृष्ठभूमि में कुछ ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्न उत्पन्न होते हैं जिन पर चर्चा कर सम्यक समाधान निकालना आवश्यक प्रतीत होता है, जैसे:


1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस जनांदोलन के बीच शाही इमाम के बयान के क्या निहितार्थ हैं?

2. डॉ. उदित राज का अन्ना हजारे की टीम में दलित प्रतिनिधि ना शामिल होने के आरोप की अहमियत कितनी है? क्या भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहिम में सभी वर्गो-जातियों का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है?

3. क्या अन्ना हजारे का आंदोलन किसी धर्मविशेष से जुड़ा है या किसी धर्मविशेष के खिलाफ है?

4. और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है कि क्या भ्रष्टाचार के विरोध जैसे सार्वजनिक हित के मुद्दे पर विवाद पैदा करना सही है?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


राष्ट्रहित के मुद्दे पर धर्म और समुदाय की राजनीति!


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1.यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “इस्लाम विरोध और दलित मामला” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व इस्लाम विरोध और दलित मामला – Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।

2.पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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