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दागियों के सहारे प्रदेश की तकदीर कैसे बदल पाएंगे अखिलेश?

जागरण जंक्शन फोरम
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विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह – गोंडा के तत्कालीन सीएमओ को जबरन घर से उठाकर उनकी खूब पिटाई की। गोंडा के दबंग पंडित सिंह को अपनी इस हरकत के चलते तत्कालीन मुलायम सरकार में राजस्व मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके अलावा वे अपराधियों को शरण देने और मारपीट करने जैसे आरोपों में भी लिप्त रहे हैं।

गायत्री प्रसाद प्रजापति – जान से मारने की धमकी और मारपीट के मामलों में लिप्त।


राममूर्ति सिंह वर्मा – दबंगई दिखाने के साथ मारपीट, हत्या आदि जैसे मामलों में लिप्त।


तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय – एक हत्या का मामला, दंगे भड़काने का आरोप, जान से मारने की धमकी के आरोप, मारपीट के विभिन्न मामले।


अखिलेश सरकार जब अस्तित्व में आई थी तब क्षेत्रीय तौर पर उनसे कई उम्मीदें और अपेक्षाएं की जा रही थीं। लेकिन हाल ही में उनके द्वारा किया गया कैबिनेट का विस्तार विवादों के घेरे में आ गया है। 12 नए चेहरों को कैबिनेट में जगह देकर अखिलेश यादव का चयन एक विवादास्पद मसला बन गया है क्योंकि उन 12 में से उपरोक्त 4 चेहरे ऐसे हैं जो पिछले काफी समय से हत्या, मारपीट, जबरन वसूली आदि जैसी आपराधिक वारदातों में लिप्त रहे हैं।


अखिलेश मंत्रिमंडल में शामिल इन दागी मंत्रियों के विरोध में एक पक्ष खड़ा हो गया है जिसका यह स्पष्ट कहना है कि युवा होने के बावजूद अखिलेश यादव क्षेत्र की जरूरतों और जनता की अपेक्षाओं को नहीं समझ पा रहे हैं। उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के कार्यकाल में भी बाहुबली और दागी मंत्रियों को शरण और संरक्षण दिया जाता था। अखिलेश भी अब अपने पिता द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चल रहे हैं जबकि उनसे अपेक्षा थी कि वह सरकार में सकारात्मक बदलाव लाकर क्षेत्र के मौजूदा हालात में, जनता के गिरते जीवन स्तर में बदलाव लाएंगे। लेकिन अखिलेश इसमें पूरी तरह असफल साबित हुए। वह भी दबंगों के आकर्षण तले दबते जा रहे हैं। उनकी यह हरकत साबित करती है कि वह राज्य के विकास के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं बल्कि राजनैतिक लाभ हासिल करना ही उनका मूल उद्देश्य है।


वहीं अखिलेश यादव और उनकी पार्टी का मत है कि राज्य के विकास के प्रति प्रतिबद्ध होकर कैबिनेट का विस्तार किया गया है और ऐसे चेहरों को शामिल किया गया है जो क्षेत्रीय और जातीय संतुलन स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो सकें। अखिलेश यादव ने अपनी कैबिनेट में तीन ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, पांच पिछड़े वर्ग और वैश्य समाज में से एक व्यक्ति को शामिल किया है। इन नए मंत्रियों में पांच मंत्री पूर्वांचल से तथा पांच पश्चिम और दो मध्य उत्तर प्रदेश से हैं। प्रतिभावान और तेज-तर्रार मंत्रियों को इसीलिए स्थान दिया गया ताकि उन्हें जनहित के कार्यों में लगाया जा सके। पार्टी यह भी मानती है कि जिन मंत्रियों पर दागी होने जैसा आरोप लगाया जा रहा है उनमें से ज्यादातर को जानबूझकर फंसाया गया है। उन पर लगे आरोपों की सुनवाई अभी भी न्यायालय में चल रही है और जब तक कोई निर्णय नहीं आ जाता किसी को भी दागी नहीं कहा जा सकता और अगर कोई ऐसा करता है तो पूरी तरह गलत है।


उपरोक्त मसले के दोनों पक्षों पर गौर करने के बाद कुछ बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न हमारे सामने उठते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना बेहद आवश्यक है, जैसे:

1. क्या अखिलेश यादव से जो अपेक्षाएं की गई थीं वह आने वाले समय में व्यर्थ साबित होने वाली हैं?

2. अपनी कैबिनेट में दबंगों और बाहुबलियों को शामिल कर आखिर अखिलेश क्या साबित करना चाहते हैं?

3. क्या वाकई यह सब क्षेत्रीय संतुलन स्थापित कर विकास के लिए किया गया है या फिर मात्र राजनीतिक हित साधने के लिए?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:

दागियों के सहारे प्रदेश की तकदीर कैसे बदल पाएंगे अखिलेश?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।

नोट:1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “कैबिनेट में दागी”  है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व  कैबिनेट में दागी – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।

धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार

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