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सोशल मीडिया पर नियंत्रण – अखंड राष्ट्र की जरूरत या अभिव्यक्ति पर हमला ?

जागरण जंक्शन फोरम
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हाल ही में पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की कथित सेक्स सीडी सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक कर दी गई। सीडी पर विवाद इतना अधिक गहरा गया कि अभिषेक मनु सिंघवी को अपने सभी राजनैतिक पदों से इस्तीफा तक देना पड़ा। यह पहली ऐसी घटना नहीं है जब सोशल मीडिया के कारण सरकार और आम जनता को नुकसान उठाना पड़ा है। हकीकत को दरकिनार कर अगर हम प्रभावों की बात करें तो किसी भी प्रकार का नियंत्रण ना होने के कारण सोशल मीडिया के जरिए ऐसी सामग्रियों का प्रसारण बड़ी आसानी से किया जा सकता है जो देश की एकता और अखंडता को बाधित करने में पूर्ण सक्षम हैं। यही वजह है कि अब सोशल मीडिया पर नियंत्रण लगाने जैसी कवायद जोर पकड़ने लगी है।


परंतु सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे बड़ा माध्यम और उदाहरण है, इसीलिए अनेक बुद्धिजीवियों का यह मानना है कि अगर सोशल मीडिया को भी नियंत्रित कर दिया गया तो यह अभिव्यक्ति की आजादी जैसे मौलिक अधिकार पर आघात होगा।  अनियंत्रित सोशल मीडिया के पक्षधरों का कहना है कि भले ही सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक विवादास्पद सामग्रियां सार्वजनिक की जा सकती हैं लेकिन इससे आम जनता अपने द्वारा चुनी गई सरकार और राजनेताओं की वास्तविकता से परिचित हो सकती है। आसपास घटने वाली वारदातों और सामाजिक सच्चाई से भी जनता बिना किसी परेशानी के रूबरू हो सकती है। अनेक बुद्धिजीवियों का मानना है कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण लगाकर हम कभी भी हकीकत तक नहीं पहुंच सकते।


वहीं दूसरी ओर बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो पूरी तरह नियंत्रित सोशल मीडिया के पक्षधर हैं। इस वर्ग के लोगों का यह साफ कहना है कि बिना नियंत्रण के कभी कोई चीज लाभप्रद नहीं हो सकती। सोशल मीडिया पर प्रसारित सामग्रियों पर कोई निगरानी ना होने के कारण राष्ट्रीय अखंडता पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। कभी भी कोई भी व्यक्ति कुछ भी ऐसा संचालित कर सकता है जो सामुदायिक या जातिगत भावनाओं को आहत कर सकता है। सोशल मीडिया पर नियंत्रण रखने की मांग करने वालों का यह भी कहना है कि निजता का पूर्ण हनन अनियंत्रित सोशल मीडिया का बड़ा दुष्प्रभाव है।


ऐसे हालातों में कुछ बेहद जरूरी प्रश्न सामने आते हैं जिन पर चर्चा करना राष्ट्रहित में अनिवार्य है, जैसे:

1. क्या सच में अनियंत्रित सोशल मीडिया देश की अखंडता के लिए खतरा है?

2. क्या वास्तव में सोशल मीडिया हालातों को और अधिक जटिल बना देती है?

3. अगर सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे राजनेताओं की सच्चाई सामने आती है तो ऐसे में इसे नियंत्रित करने का क्या औचित्य है?

4. क्या अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी की निजता का हनन करना सही है?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


सोशल मीडिया पर नियंत्रण अखंड राष्ट्र की जरूरत या अभिव्यक्ति पर हमला ?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “सोशल मीडिया पर नियंत्रण” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व सोशल मीडिया पर नियंत्रण Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।

2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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