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वित्तीय कानूनों की लचर स्थिति से धांधलेबाजों की चांदी !!

जागरण जंक्शन फोरम
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वित्तीय कानूनों की लाचार स्थिति और सरकारी लापरवाही का खामियाजा आम जनता को किस तरह भुगतना पड़ सकता है इसे हाल ही में ऑनलाइन सर्वे कंपनी ‘स्पीकएशिया’ के बड़े-बड़े दावों पर लगे प्रश्न चिन्ह और संबंधित विवाद को देखते हुए जाना जा सकता है. स्पीक एशिया ने ऑनलाइन सर्वे के आधार पर ग्राहकों से हजारों करोड़ वसूले और दावा किया कि उसके ग्राहकों में बड़ी कॉरपोरेट कंपनियां शामिल हैं जबकि तमाम सूत्र कंपनी के इस तरह के दावों को गलत बता रहे हैं. इसके तुरंत बाद उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर की एक कंपनी राम सर्वे का मामला प्रकाश में आया है जो निवेशकों का रुपया लेकर भाग जाने के घोटाले में लिप्त पायी गयी.


इससे पूर्व भारत में अनेक बड़े वित्तीय घोटाले हुए हैं और घोटालेबाजों को कभी कोई सजा नहीं मिल सकी है. भारतीय शेयर बाजार तो काफी पहले से ढीलेढाले नियमों के कारण अनेक घोटालों का गवाह बना हुआ है. हर्षद मेहता, केतन पारीक की बात तो जाने दीजिए ऐसी भी स्थिति आती रही है जबकि सत्यम जैसी विश्वसनीय कंपनी ने निवेशकों के विश्वास को ठेस पहुंचाते हुए अपनी बैलेंस शीट में फर्जीवाड़ा किया.


भारत में चिट फंड कंपनियों का जमाना सभी को याद होगा कि किस तरह रिजर्व बैंक के नियमों में मौजूद कमियों का फायदा उठाते हुए हर गली-कूचे में लाखों की संख्या में निवेशकों को चूना लगाने वाले घोटालेबाजों ने हजारों करोड़ का घोटाला किया. लोगों की गाढ़ी कमाई पल भर में स्वाहा हो गयी और ऐसी कंपनियां रातों रात रफूचक्कर हो गयीं. भंसाली जैसे लोगों को बैंक खोलने की अनुमति दे दी गयी और उसने पूरे भारत में अपने फ्राड बैंकिंग का जाल बिछा दिया तथा निवेशकों का 18-20 हजार करोड़ लेकर आस्ट्रेलिया भाग गया. इंटरपोल द्वारा पकड़ कर लाए जाने के बावजूद भी उस पर कोई खास कार्यवाही नहीं हो पायी और निवेशकों का पैसा वापस नहीं मिला.


कुल मिलाकर ऐसी गतिविधियों के पीछे सरकारी लापरवाही और कानूनों की शिथिलता का योगदान ही अधिक है साथ ही भारत में आर्थिक जागरुकता की कमीं भी इसका एक महत्वपूर्ण कारण प्रतीत होता है.


उपरोक्त को देखते हुए तमाम सवाल मन में घुमड़ते हैं जैसे क्या भारत में वित्तीय कानूनों को लचर बनाने के पीछे कोई सोची-समझी चाल है ताकि भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों को राहत दी जा सके? क्या भारत में आज भी जनता की मनोवृत्ति में कोई सार्थक बदलाव नहीं आ सका है और जब-तब जनता को लूटने और ठगने वाले उसकी इसी मनोवृत्ति का फायदा उठाते रहे हैं? क्या भारत में ऐसे धांधलेबाजों पर लगाम लगाने की कोई मुहिम सशक्त रूप से सफल हो सकेगी?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इसी मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है. इस बार का मुद्दा है:


वित्तीय कानूनों की लचर स्थिति से धांधलेबाजों की चांदी !!


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जारी कर सकते हैं.


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें. उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “वित्तीय कानूनों की लाचार स्थिति” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व  वित्तीय कानूनों की लाचार स्थिति – Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें.

2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गयी है. आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं.


धन्यवाद

जागरण जंक्शन टीम

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