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केंद्र सरकार द्वारा मल्टीब्रांड रिटेल कारोबार में 51 फीसदी विदेशी निवेश संबंधी प्रस्ताव को झटपट मंजूरी देने के कारण देश में भारी अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया है। इस प्रस्ताव को उद्योग जगत सहित कुछ अर्थशास्त्रियों का पूरा समर्थन मिल रहा है वहीं विपक्ष, खुदरा व्यवसायी वर्ग सहित आम जन इससे बेहद नाराज है। एसोचैम ने तो रिटेल कारोबार में एफडीआई की अनुमति के केन्द्र सरकार के कदम को गलत समय पर लिया गया सही फैसला करार दिया है।
खुदरा कारोबार में भारी एफडीआई के प्रवेश को उचित मानते हुए सरकार का कहना है कि इससे देश में जारी महंगाई को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी साथ ही बढ़ती बेरोजगारी का समाधान भी मिल जाएगा। इससे किसानों को सीधा लाभ मिलने की बात की जा रही है क्योंकि सरकार का मानना है कि बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाने से कृषि और कृषकों दोनों को फायदा पहुंचेगा।
लेकिन वहीं दूसरी ओर कई लोगों को लगता है कि खुदरा व्यापार के क्षेत्र में विदेशी पूंजी के सीधे निवेश से देश की अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथ में चली जाएगी और देश के सामने आर्थिक गुलामी का खतरा पैदा हो जाएगा। कई लोग यह भी मानते हैं कि खुदरा व्यापार के क्षेत्र में विदेशी पूंजी के सीधे निवेश के बाद छोटे दुकानदार और उद्यमी अपना कारोबार बंद कर देने को मजबूर हो जाएंगे, करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे और देश के सामने आर्थिक संकट पैदा हो जाएगा। भाजपा, वामदलों के साथ-साथ सपा-बसपा आदि का तर्क है कि रिटेल कारोबार में विदेशी पूंजी निवेश को अनुमति का फैसला उन छोटे दुकानदारों के लिए बड़ी मुसीबत है जिनकी संख्या लाखों में है।
खुदरा व्यापार के क्षेत्र में विदेशी पूंजी के सीधे निवेश के मामले पर विभिन्न पक्षों के अलग-अलग मत को देखते हुए यह बेहद आवश्यक हो जाता है कि उन सवालों के जवाब ढूंढ़े जाएं जिन पर तनातनी बनी हुई है। इनमें से कुछ प्रमुख सवाल निम्नलिखित हैं:
1. क्या खुदरा व्यापार के क्षेत्र में विदेशी पूंजी का सीधा निवेश देश हित में लिया गया फैसला है?
2. क्या सरकार वाकई जनहित में ऐसा निर्णय ले रही है या उस पर ऐसा करने के लिए बाहरी दबाव है?
3. क्या विदेशी पूंजी से देश का तीव्र आर्थिक विकास संभव है?
4. क्या प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अधिकता से देश आर्थिक गुलामी का शिकार हो जाएगा?
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
विदेशी निवेश – आर्थिक विकास या संप्रभुता पर वार ?
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट: 1.यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “प्रत्यक्ष विदेशी निवेश” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश – Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।
2.पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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