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भूख व कुपोषण से कराहता बचपन – कैसे होगा उद्धार ?

जागरण जंक्शन फोरम
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हाल ही में बच्चों में भूख और कुपोषण का पता लगाने के लिए नंदी फाउंडेशन ने देश के छह राज्यों के 112 ग्रामीण जिलों में एक सर्वे कराया है जिसके अनुसार देश में तकरीबन 40 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, जबकि 42 फीसदी बच्चों का वजन अपनी उम्र के हिसाब से कम है। रिपोर्ट के परिणाम प्रथम दृष्टया इस बात को जाहिर करते हैं कि भूख व कुपोषण से निपटने के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाएं एक छलावा मात्र हैं जिसमें बढ़ते भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता ने आग में घी का काम किया है।  वस्तुतः भारत में अनेक योजनाएं इस दिशा में कार्य करने के लिए लागू की गई हैं किंतु सभी योजनाएं व्यर्थ ही साबित हुई हैं।


भूख व कुपोषण पर हुए इस अध्ययन ने कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पक्ष व विपक्ष में बहस को तेज कर दिया है। कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह के अध्ययन का कोई विशेष आधार नहीं है और इसमें एक छोटे से मॉडल नमूने के आधार पर फैसले सुना दिए जाते हैं। ऐसे लोगों का मत है कि आजादी के बाद अब तक की स्थिति में काफी फर्क आ चुका है। गरीबी में भारी कमी आई है और सरकारी योजनाओं का लाभ कुछ कम ही सही लेकिन काफी बड़ी आबादी को प्राप्त हुआ है। ऐसे लोग यहां तक कह रहे हैं आर्थिक उदारीकरण के बाद लोगों की क्रय शक्ति में भारी इजाफा हुआ तो ऐसे में ये कहना कि 40 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, हास्यास्पद है।


वहीं दूसरी ओर इसके ठीक विपरीत ऐसे लोग भी हैं जिनका मानना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ आमजन तक नहीं पहुंच पा रहा है। भूख व कुपोषण से लड़ने वाली आधिकांश योजनाएं भारी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती हैं। सरकार बच्चों में भूख और कुपोषण से निपटने के लिए आईसीडीएस योजना चलाती है जिसका कोई भी लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है लेकिन इस योजना को चलाने के लिए जिम्मेदार लोगों का घर जरूर भर रहा है। ऐसे लोगों का मानना है कि भूख व कुपोषण से निपटने के लिए एक केन्द्रीकृत राष्ट्रीय योजना के सशक्त संचालन के अलावा जमीनी स्तर पर कार्य करने की महती आवश्यकता है तभी जाकर कोई सार्थक परिणाम सामने आ सकता है।


उपरोक्त के आधार पर कुछ बेहद महत्वपूर्ण सवाल सामने आते हैं जिन पर सार्वजनिक बहस की जरूरत है, जैसे:


1. क्या देश में भूख व कुपोषण की जैसी तस्वीर दिखाई जा रही है वैसी ही स्थिति यथार्थ में मौजूद है?

2. क्या सरकारी योजनाएं भूख व कुपोषण को कम करने की दिशा में अक्षम सिद्ध हुई हैं?

3. यदि सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं हुआ है तो क्या ऐसी योजनाओं का संचलन बंद कर देना चाहिए?

4. आपकी राय में भूख व कुपोषण से लड़ने के लिए कौन सा उपाय आजमाया जाना चाहिए?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


भूखकुपोषणसेकराहताबचपनकैसेहोगाउद्धार ?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “भूख व कुपोषण से कराहता बचपन” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व भूख व कुपोषण से कराहता बचपन Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।

2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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