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क्या हैदराबाद आतंकी हमला भारत की पक्षपात भरी नीति का परिणाम है?

जागरण जंक्शन फोरम
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हैदराबाद बम धमाकों में ना जाने कितने ही बेगुनाहों ने अपनी जान गंवाई, सरकारी और निजी संपत्तियां स्वाहा हो गईं, कितनी ही मासूम जिंदगियां हताहत हुईं. वैसे तो लचर सुरक्षा व्यवस्था और राजनीति व प्रशासन के ढीले रवैये के कारण भारत हमेशा से ही आतंकियों के लिए एक सॉफ्ट टार्गेट रहा है लेकिन संसद हमले के दोषी और पिछले काफी समय से फांसी की सजा पाए कश्मीरी जेहादी अफजल गुरू को दी गई मौत की सजा के बाद हैदराबाद में हुए दो सिलसिलेवार बम धमाकों ने कई सवाल हमारे सामने छोड़ दिए हैं।


यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अफजल गुरू की फांसी के तुरंत बाद हुए इस आतंकी हमले के तार कहीं ना कहीं उसकी मौत से जरूर जुड़े हैं। जहां पहले से ही अफजल को दी गई फांसी की सजा को लेकर सरकार विवादों से घिरी हुई है वहीं इन बम धमाकों के बाद बुद्धिजीवियों के दो वर्गों के बीच बहुत बड़ी बहस शुरू हो गई है कि क्या यह आतंकी हमला इसलिए किया गया ताकि सरकार को उसकी गलती का एहसास दिलवाया जा सके या फिर हमेशा की तरह अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने और आमजन के भीतर भय पैदा करने के लिए आतंकवादियों ने मासूम जनता को अपना निशाना बनाया?


बुद्धिजीवियों का एक वर्ग जो पहले से ही अफजल गुरू की फांसी दिए जाने के खिलाफ था उसका कहना है कि सरकार का रवैया कश्मीरी लोगों को लेकर हमेशा से ही पक्षपातपूर्ण रहा है। इस वजह से वहां के युवा, सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए आतंक के रास्ते को अपनाने लगे हैं। उन्हें नागरिक कहलवाने का हक भी सरकार ने भीख के तौर पर उन्हें दिया है, जबकि उनके दर्द, उनकी आकांक्षाओं को समझने का प्रयास कभी नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उनके भीतर आक्रोश और रोष एकत्र हो चुका है, जिसका खामियाजा सरकार और मासूम जनता को भुगतना पड़ा है। जेहाद के मार्ग पर चल पड़े कश्मीरी युवाओं के दर्द को समझने का दंभ भरने वाले लोगों का कहना है कि इसे सरकार की लापरवाही कह लें या फिर नजरअंदाज करने की सीमा, लेकिन उसके इसी रवैये के कारण आतंकवादियों का गुट कश्मीरी समेत अन्य भारतीयों को बरगलाकर अपना काम निकलवा रहा है।


वहीं दूसरी ओर आतंकवादी हमलों का घोर विरोध करने वाले और इन्हें इंसानियत पर गहरा आघात समझने वाले लोग, जो पूर्णत: व्यवहारिक दृष्टिकोण रखते हैं, का कहना है कि यह भारत सरकार को सही निर्णय करने से रोकने का प्रयास है। आतंकवादियों का एकमात्र उद्देश्य अपना हित साधना होता है और अगर उनकी राह में कोई व्यक्ति या प्रशासन कांटा बनता दिखाई देता है तो वह उसे जड़ से उखाड़ फेंकने से पीछे नहीं हटते। इतना ही नहीं, वह अपने घिनौने मंतव्यों को साधने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनके लिए किसी व्यक्ति की जान की अहमियत कुछ नहीं है, जेहाद के नाम पर इंसानियत के साथ खिलवाड़ करना आतंकवादियों की पुरानी फितरत है। इस वर्ग में शामिल लोगों का कहना है कि अगर हैदराबाद धमाकों के तार कहीं से भी अफजल को दी गई फांसी से जुड़े हैं तो निश्चित है कि यह सरकार को डराने के लिए किया गया प्रयास है ताकि सरकार मासूम जनता को निशाना बनते देख डर जाए और आगे से कोई भी सख्त कदम ना उठाने पाए।


हैदराबाद हमले और पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा की ओर से पहले ही किया गया यह एलान कि वह मुंबई हमलों के दोषी अजमल और अफजल को दी गई फांसी के विरोध में भारत में हमले तेज करेंगे, के मद्देनजर कुछ सवाल हैं जिनके जवाब ढूंढ़ना बेहद जरूरी है, जैसे:

1. क्या इन आतंकवादी हमलों का मकसद भारत को कड़े कदम उठाने से रोकना है?

2. अफजल की फांसी एक विवादास्पद मसला है, उसे इन हमलों से जोड़ना कहां तक सही है?

3. क्या यह वाकई भारत की कमजोर और पक्षपात भरी नीति का ही परिणाम है जो आज आम जनता के बीच आक्रोश भर गया है?

4. सुरक्षा तंत्र को पहले से ही ऐसी अनहोनी की आशंका थी तो क्यों कोई सावधानी नहीं बरती गई?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


क्या हैदराबाद आतंकी हमला भारत की पक्षपात भरी नीति का परिणाम है?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “हैदराबाद बम धमाके”  है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व हैदराबाद बम धमाके– Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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