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क्या बिहार की राजनीति से राजद का पत्ता साफ हो जाएगा?

जागरण जंक्शन फोरम
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17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए चारा घोटाले से जुड़े मामले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री तथा राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र समेत 45 दोषियों में से 38 को जेल भेज दिया है। हालांकि अभी सजा का ऐलान तो नहीं किया गया है लेकिन इस फैसले के बाद लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक कॅरियर पर ग्रहण लगना तो तय है। उल्लेखनीय है कि इस मामले में 3 वर्ष से 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है और सजा मिलने के बाद लालू प्रसाद यादव अगले 6 वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।



लालू प्रसाद यादव का पूरा राजनीतिक कॅरियर दांव पर लगने के बाद अब उनकी पार्टी की डूबती नैया पर सभी अपनी नजरें गड़ाए बैठे हैं। पिछले काफी समय से लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल की लगाम अपने हाथ में ले रखी है लेकिन अब जब उनके ही जेल जाने के दिन नजदीक आ गए हैं तो ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि लंबे समय तक यूपीए की साथी रही और वर्तमान में 4 सीटों के साथ यूपीए को बाहर से समर्थन देने वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल को क्या अब कांग्रेस का समर्थन मिल पाएगा? इसके साथ ही यह भी एक बड़ा प्रश्न है कि अब लालू के राजनैतिक कॅरियर का क्या होगा?



बुद्धिजीवियों का एक वर्ग ऐसा है जो यह मान रहा है कि राजद और लालू प्रसाद यादव के दिन लद गए हैं और यूपीए की नजरें अब बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार पर हैं। नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर एनडीए से अलग होने वाले नीतीश कुमार बिहार में अपना कद लगातार बढ़ाते जा रहे हैं। यहां तक कि बिहार की जनता को वह काफी पसंद भी आ रहे हैं और वैसे भी लालू प्रसाद यादव के राजनैतिक कॅरियर की नियति पर विश्वास भी नहीं किया जा सकता। कहते हैं ना उगते हुए सूरज को सभी सलाम करते हैं और इसी अवधारणा के तहत अब यूपीए की कोशिश नीतीश कुमार को अपने पाले में करने की रहेगी।



वहीं दूसरी ओर वे लोग हैं जिनका यह कहना है कि कांग्रेस कभी अपने वफादारों को अकेला नहीं छोड़ती। कांग्रेस की यह खासियत रही है कि वह अपने साथियों को कभी मुश्किल में अकेला नहीं छोड़ती इसीलिए लालू प्रसाद यादव की अनुपस्थिति में निश्चित रूप से कांग्रेस राजद को मझधार में नहीं छोड़ेगी। वर्ष 2009 तक राजद यूपीए का हिस्सा रही है और अब गठबंधन को बाहर से समर्थन दे रही है। अगर लालू प्रसाद पर कुछ कड़े प्रतिबंध लगते हैं तो निश्चित रूप से कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल का साथ नहीं छोड़ेगी और राजद की डूबती नैया को पार लगा देगी।


उपरोक्त मसले और हालिया समीकणों से जुड़े उपरोक्त पक्षों पर विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने उपस्थित हैं, जैसे:


1. क्या लालू के बिना राजद को संभलने का मौका मिल पाएगा?


2. चारा घोटाले में सजा मिलने के बाद क्या वाकई बिहार की राजनीति से राजद का पत्ता साफ हो जाएगा?


3. नीतीश की बयार से प्रभावित यूपीए क्या राजद को संभालने में दिलचस्पी लेगी?


4. यूपीए गठबंधन का पुराना साथी होने का क्या राष्ट्रीय जनता दल को फायदा मिलेगा?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


क्या बिहार की राजनीति से राजद का पत्ता साफ हो जाएगा?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “राजद की नैया” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व राजद की नैया – Jagran Junction Forum लिख कर जारी करें।



2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।



धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार

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