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जैसे-जैसे मिशन 2014 नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे राजनीतिक सरगर्मियां भी और अधिक बढ़ती जा रही हैं। कांग्रेस की ओर से तो बहुत हद तक यह निश्चित है कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी हों लेकिन भाजपा के भीतर चल रहे द्वंद की वजह से यह अंदाजा लगा पाना मुश्किल ही था कि नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद और दी जा रही प्राथमिकताओं के बावजूद उनका नाम भाजपा की ओर से पीएम पद के लिए नामित किया जाएगा या नहीं? इन सभी चर्चाओं पर विराम लगाते हुए आखिरकार नरेंद्र मोदी को औपचारिक तौर पर पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही जगह नरेंद्र मोदी की छवि काफी हद तक विवादित रही है। एक ओर जहां कुछ लोग मोदी को उनके तानाशाही रवैये और सांप्रदायिक छवि की वजह से अपना प्रतिनिधि स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं वहीं कुछ लोग मोदी को आज के समय की मांग बता रहे हैं। इसी कारण यह चर्चा जोरों पर है कि क्या नरेंद्र मोदी “पीएम इन वेटिंग” की परंपरा को तोड़कर इस बार देश के प्रधानमंत्री का पद हासिल कर पाएंगे?
बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका मानना है कि नरेंद्र मोदी को अपना प्रत्याशी बनाना भाजपा की बहुत बड़ी गलती साबित होने वाली है। नरेंद्र मोदी अभी गुजरात दंगों के आरोप से जूझ रहे हैं जिसकी वजह से इन्हें अभी भी सांप्रदायिक नेता करार दिया जाता है। अधिकांश लोग उनके कट्टर और तानाशाही रवैये की वजह से उन्हें पसंद भी नहीं करते। ऐसे लोगों का मानना है कि भले ही मोदी को पीएम पद का प्रतिनिधि बनाया गया है लेकिन इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि इस निर्णय को लेने के लिए आडवाणी जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सुझावों को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया। इस वर्ग में शामिल लोगों का कहना है कि मोदी की मीडिया कैंपेनिंग गजब की है इसीलिए उनकी पहुंच भी सिर्फ उन लोगों तक है जो मीडिया और सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं। समाज के दलित और पिछड़े वर्गों के बीच जिस प्रकार कांग्रेस लोकप्रिय है, मोदी अभी तक अपनी वैसी पहचान स्थापित नहीं कर पाए हैं। वे युवा जो मोदी के नाम के नारे लगाते हैं चुनाव के समय उन्हीं के वोट डालने के आंकड़े सबसे कम रहते हैं। इनका कहना है कि मोदी भाजपा के प्रधानमंत्री तो हो सकते हैं लेकिन देश के नहीं।
वहीं दूसरी ओर वे लोग हैं जो यह मान चुके हैं कि इस बार नरेंद्र मोदी भाजपा की उम्मीदों पर पूरी तरह खरे उतरेंगे और पीएम इन वेटिंग की परंपरा को तोड़कर दिखाएंगे। इस वर्ग में शामिल लोगों का कहना है कि कांग्रेस के अत्याचारों से मुक्ति के साथ पूरी तरह भ्रष्ट हो चुकी राजनीति में सुधार लाने के लिए आज देश को मोदी जैसे मुखिया की ही जरूरत है जो सही समय पर उपयुक्त और कठोर कदम उठाने का माद्दा रखता हो। फिलहाल भारत का नेतृत्व लचर हाथों में है जिसकी वजह से भारत में महंगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद जैसे दानव सिर उठाए खड़े हैं। एक लंबे अर्से से देश ऐसे नकारात्मक हालातों से जूझ रहा है जिसके लिए सीधे तौर पर कांग्रेस जिम्मेदार है और जनता यह बात भली प्रकार समझती है। ऐसे लोगों का कहना है कि जनता बदलाव चाहती है और इस बार बदलाव के सेनापति बनेंगे नरेंद्र मोदी।
उपरोक्त विषय के दोनों पक्षों पर विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने उपस्थित हैं, जैसे:
जागरणजंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण औरसंवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दाहै:
क्या ‘पीएमइनवेटिंग’ कीपरंपरातोड़पाएंगेमोदी ?
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “पीएम इन वेटिंग” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व पीएम इन वेटिंग – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
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