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कांग्रेस सांसद और जिंदल स्टील एंड पॉवर ग्रुप के प्रमुख नवीन जिंदल ने अपनी एक प्रेस कॉंफ्रेंस में ज़ी ग्रुप के दो चैनल जी न्यूज और जी बिजनेस पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है। जिंदल का कहना है कि उनकी कंपनी का नाम कोयला आवंटन में हुए घोटाले में ना घसीटने की एवज में जी ग्रुप के नुमाइंदे उनसे 100 करोड़ रुपए की रकम मांग रहे थे। जिंदल का यह भी दावा है कि इस मुद्दे पर चैनल से जुड़े लोगों के साथ उन्होंने तीन बार बैठके भी की थी। अपनी प्रेस कॉंफ्रेंस में नवीन जिंदल ने एक स्टिंग ऑपरेशन की रिकॉर्डिंग भी पेश की जिसमें जी न्यूज के संपादक और सुधीर चौधरी और जी बिजनेस के संपादक समीर आहलूवालिया को उनसे पैसे मांगते हुए दिखाया गया है।
जिस मीडिया का काम सच का साथ देकर सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना है जब उसी पर सच को बेचने जैसे गंभीर आरोप लग जाएं तो जाहिर है यह विवाद का विषय तो बनेगा ही। यही वजह है कि जिंदल द्वारा कथित स्टिंग ऑपरेशन की सीडी, जिसमें जी ग्रुप पर निशाना साधा गया है, के बाहर आते ही चैनल से जुड़े वे तमाम नाम जो इस प्रकरण में आरोपी बनाए गए हैं, ने सीडी की प्रमाणिकता पर सवाल उठाते हुए अपनी सफाई देने की कोशिशें शुरू कर दीं। सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया का कहना है कि यह उनकी छवि खराब करने के लिए की गई एक बेहद ओछी हरकत है। चौधरी और आहलूवालिया ने अपना पक्ष रखते हुए यह कहा कि नवीन जिंदल ने बैठक के एक छोटे से हिस्से को ही मीडिया के सामने रखा है। जी न्यूज संपादकों का यह दावा है कि घोटाले के मामले से ध्यान भटकाने के लिए जिंदल समूह द्वारा ऐसा किया जा रहा है। संपादकों का कहना है कि मीडिया आज भी अपनी जिम्मेदारी समझता है और यह सब नवीन जिंदल की एक चाल है तथा वह जांच के दायरे में आने से बचना चाहते हैं। मीडिया एजेंसियों की साख को खतरे में देख इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि निश्चित तौर पर यह जिंदल की ही एक चाल है। वह खुद को बचाने के लिए ही ऐसा कर रहे हैं जबकि मीडिया अपनी जिम्मेदारियों को आज भी बहुत अच्छे ढंग से समझती है। उसका काम बिना डरे सच उजागर करना है और हर हाल में ऐसा ही होगा। उनका कहना है कि नवीन जिंदल के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं जिनका सच से कोई लेना देना नहीं है।
वहीं दूसरी ओर अपना पक्ष रखते हुए नवीन जिंदल का कहना है कि कोयला आवंटन जैसे बड़े और गंभीर मुद्दे में जी ग्रुप के कुछ लोग उनकी कंपनी का नाम भी घसीटना चाहते थे। जाहिर है इससे उनकी और उनकी कंपनी जिंदल स्टील एंड पॉवर ग्रुप की साख खतरे में पड़ जाती। जिंदल का आरोप है कि जी न्यूज और जी बिजनेस से जुड़े कुछ लोगों ने खबर रोकने के लिए उनसे 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी। इस पूरे प्रकरण से जुड़े स्टिंग ऑपरेशन की विवादित सीडी को सार्वजनिक करने से पहले नवीन जिंदल जी ग्रुप से जुड़े सुधीर चौधरी और समीर आहलूवालिया के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा चुके हैं। अगर नवीन जिंदल की बात सच है तो सवाल उठता है कि क्या भ्रष्टाचार से लोहा लेने की जगह अब मीडिया भी पैसे की चमक के आगे सिर झुकाकर ऐसे नामी-गिरामी लोगों के हाथों की कठपुतली बनने पर उतारू है?
उपरोक्त मुद्दे के दोनों पक्षों पर विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने उठते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना वर्तमान समय के मद्देनजर हमारी जरूरत बन गया है, जैसे:
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
क्या चौथे स्तंभ को भी लग गया है भ्रष्टाचार का दीमक?
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट:1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “भ्रष्टाचार का दीमक” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व भ्रष्टाचार का दीमक – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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