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गठबंधन राजनीति का भविष्य और उसकी प्रासंगिकता !!

जागरण जंक्शन फोरम
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जब भी कभी केन्द्र में गलत नीति और कुप्रशासन की बात होती है तो देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इसके लिए गठबंधन की राजनीति को जिम्मेदार ठहराते हैं। कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय न ले पाना गठबंधन सरकार की मजबूरी हो जाती है। देश में पिछ्ले दो दशक से राष्ट्रीय राजनीति में कोई भी दल केन्द्र में अपने बलबूते सरकार नहीं बना पाया है। सरकार बनाने में प्रादेशिक पार्टियों की एक अहम भूमिका रही है। सरकार को गिराने और बनाने में इनका योगदान एक किंग मेकर के रूप में रहा है। यह अपने प्रभाव से सरकार को जिस ओर मोड़ना चाहें मोड़ सकते हैं।


इस मुद्दे पर कुछ राजनीतिक धुरंधरों का मानना है कि आने वाले कई दशकों तक कोई भी दल अकेले सरकार बनाने में सक्षम नहीं होगा।  निरंतर बढ़ रहे क्षेत्रीय दल, जातिवाद और क्षेत्रीय राजनीति का बोलबाला इसके पीछे का तर्क बताया जा रहा है। आज क्षेत्रीय दल केंद्र के अलावा राज्यों की सरकारों की दशा और दिशा बदलने में एक अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। आने वाले समय में किसी भी पार्टी के लिए सरकार बनाना इनके बिना संभव नहीं हो सकता।


वहीं कुछ राजनीति चिंतकों का मानना है कि वर्ष 2014 में बदलाव की स्थिति देखी जा सकती है जहां पर राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय पार्टियों का वर्चस्व कम होने लगेगा। जनता क्षेत्रीय पार्टियों की केंद्रीय भूमिका को अस्वीकार कर देगी और राष्ट्रीय पार्टियों को सरकार बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण वोट देगी। केन्द्र में सशक्त विदेश नीति और आर्थिक उदारीकरण के लाभों को आम जन तक पहुंचाने के लिए तथा अभिशाप बन चुके भ्रष्टाचार को समाप्त करने लिए एक बार फिर राष्ट्रीय पार्टियां उभरकर सामने आएंगी। उस समय जनता बहुदलीय सरकार को पसंद न करके एकदलीय सरकार पर अपना विश्वास दिखाएगी।


इस संदर्भ में अगर हम पूरे घटनाक्रम पर नजर डालते हैं तो हमारे सामने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठकर सामने आ रहे हैं जिन पर विचार-विमर्श व बहस की भारी गुंजाइश है, जैसे:


1. क्या 2014 के चुनाव में कोई भी अकेला दल पूर्ण बहुमत पाने की स्थिति में होगा?

2. क्या केंद्रीय राजनीति में क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां धीरे-धीरे अपना महत्व खो देंगी?

3. क्या भविष्य में होने वाले चुनावों में गठबंधन राजनीति आज की तरह प्रासंगिक रह पाएगा?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करत है। इस बार का मुद्दा है:


गठबंधन राजनीति का भविष्य और उसकी प्रासंगिकता !!


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “गठबंधन राजनीति” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व गठबंधन राजनीति – Jagran Junction Forum लिख कर जारी करें।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार


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