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महिला यौन हिंसा – कितनी बदली है तस्वीर ?

जागरण जंक्शन फोरम
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पूरे देश को सदमें में डाल कर दहला देने वाले दिल्ली गैंग रेप मामले के एक साल बाद दिल्ली में महिलाओं की स्थिति, यौन उत्पीड़न तथा छेड़छाड़ की स्थिति पर विचार-विमर्श शुरू हो चुका है। महिलाओं के खिलाफ अपराध पर पुलिस में दर्ज़ रिपोर्टों को देख यह तस्वीर सामने आती है कि दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 के बाद से बलात्कार के मामले 125% तथा छेड़छाड़ की घटनाओं में 400% से भी ज्यादा का इजाफा हुआ है। हालांकि निर्भया केस के बाद महिला यौन हिंसा के खिलाफ कानून काफी कड़ा हो चुका है तथा पुलिस को त्वरित कार्यवाही के आदेश भी मिल चुके हैं फिर भी देश की राजधानी दिल्ली में ही जब महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं तो ऐसे में देश के अन्य राज्यों व दूरस्थ क्षेत्रों के हालात कितने चिंताजनक होंगे इसे सहज ही समझा जा सकता है। निर्भया केस के एक साल भी तस्वीर बेहतर होने की बजाय और ज्यादा बिगड़ी है जिसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं, बौद्धिकों और महिला हित के पैरोकारों के बीच गंभीर बहस छिड़ चुकी है।


बलात्कार और छेड़छाड़ के बढ़ते मामलों पर पुलिस तथा प्रशासन का कहना है कि निर्भया केस के बाद समाज में जागृति आयी है तथा महिलाएं निडर होकर अपने साथ हुए हादसों की शिकायत दर्ज़ कराने आगे आ रही हैं। पुलिस का मानना है कि महिला यौन हिंसा अब के मुकाबले पहले ज्यादा होती थी किंतु महिलाएं खुल कर सामने नहीं आती थीं। लेकिन 16 दिसंबर, 2012 की घटना के बाद प्रशासन तथा कानून व्यवस्था पर भरोसा बहाली के प्रयास रंग लाए और लगभग हर घटना पर महिलाएं मुखर होकर आवाज उठाने लगी हैं।


वहीं इसके ठीक विपरीत सामाजिक कार्यकर्ता, बौद्धिक और महिला हित के पैरोकार मानते हैं कि निर्भया केस के बाद दिल्ली की हालत और भी ज्यादा बिगड़ी है। महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा व छेड़छाड़ की घटनाएं पहले से कहीं ज्यादा हो रही हैं। यह तथ्य इस बात को साबित करता है कि रेप की मानसिकता में इजाफा हुआ है तथा ऐसी मनःस्थिति वाले व्यक्ति कानून व्यवस्था को एक चुनौती की तरह ले रहे हैं और किसी भी जगह यौन हिंसा को अंजाम देकर स्त्रियों में डर व्याप्त करना चाहते हैं। महिला हित के पैरोकारों का मानना है कि पुलिस और प्रशासन अभी भी महिला हितों के प्रति संवेदी नहीं है और जितने भी मामले दर्ज़ किए गए हैं वे केवल समाज व मीडिया के दबाववश तथा ज्यादातर मामलों में पुलिसिया रवैया हीला-हवाली का रहा है।


उपरोक्त मुद्दे के दोनों पक्षों पर गौर करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने आते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना नितांत आवश्यक है, जैसे:


1. क्या अब भी यौन हिंसा के मामलों पर पुलिस का रवैया कार्यवाही की बजाय टाल-मटोल वाला ज्यादा है?

2. क्या कारण है कि समाज, मीडिया व प्रशासन में आई जागरुकता के बाद भी यौन हिंसा के मामले बढ़े हुए दिख रहे हैं?

3. कैसे बदलेगा महिलाओं के प्रति नजरिया?


जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:


महिला यौन हिंसा – कितनी बदली है तस्वीर ?


आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।


नोट: 1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “महिलाओं के प्रति नजरिया” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व महिलाओं के प्रति नजरिया – Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।


2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।


धन्यवाद

जागरण जंक्शन परिवार

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