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पहले आंध्रप्रदेश के डीजीपी दिनेश रेड्डी ने कहा कि महिलाओं के फैशनेबल और पारदर्शीकपड़े पहनने से रेप की घटनाएं बढ़ती हैं।अब कर्नाटक के महिला और बाल कल्याण मंत्री सी.सी.पाटिल ने महिलाओं के पहनावे को लेकर अपनी राय व्यक्त की है। पाटिलके अनुसार महिलाओं को यह पता होना चाहिए कि उन्हें कितनी स्किन छिपाएरखनी है।पाटिल का कहना है कि रेप और यौन उत्पीड़न तब होते हैं जब पुरुषों कीनैतिकता गिरती है और पुरुषों की नैतिकता उस समय धराशायी हो जाती है, जब महिलाएं भड़काऊ कपड़े पहनती हैं।
मॉरल पुलिसिंग जैसी बात कोई पहली बार नहीं हो रही है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी कई संगठनों व व्यक्तियों ने महिलाओं के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने की बात की है। श्रीराम सेना या बजरंग दल जैसे संगठनों और इस्लामी फतवों के द्वारा महिलाओं के पहनावे को नियंत्रित करने की कवायद की जाती रही है। यही कारण है कि महिलाएं क्या पहनें, कैसे पहनें, कब घर से बाहर निकलें, किसके साथ निकलें जैसे मामलों पर विभिन्न संगठनों या व्यक्तियों द्वारा निर्देश या सलाह दिए जाने के मामले पर अलग-अलग राय सामने आने लगी है।
मॉरल पुलिसिंग के समर्थकों का मानना है कि नैतिकता बनाए रखने और महिलाओं के प्रति बढ़ती यौन हिंसा पर लगाम लगाने के लिए महिलाओं को भी पहल करनी होगी। खुले, बदन दिखाऊ और पश्चिमी सभ्यता के परिधान धारण करने से बलात्कार की प्रेरणा मिलती है। इनका कहना है कि जब महिलाएं ऐसे सेक्सी ड्रेस पहनती हैं तो पुरुषों में काम भावना जाग्रत हो जाती है जिसमें से कुछ अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते परिणामस्वरूप छेड़छाड़, यौन दुर्व्यवहार या बलात्कार की घटनाएं होने लगती हैं।
वहीं ऐसे लोग भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं जो किसी भी तरह की मॉरल पुलिसिंग के खिलाफ हैं। ऐसे लोगों का तर्क है कि महिलाएं क्या पहनें, क्या ना पहनें, ये तय करने का अधिकार सिर्फ महिलाओं को ही होना चाहिए और उन्हें ऐसे नितांत वैयक्तिक मसले पर निर्देश देने वाले क्षुद्र मानसिकता से पीड़ित हैं जो महिलाओं की आजादी के पुरजोर विरोधी हैं। महिलाओं की आजादी के हिमायतियों का कहना है कि किसी भी तरह की मॉरल पुलिसिंग में संलग्न संगठनों या व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि ऐसे लोग महिलाओं पर नियत्रंण थोप कर देश को सैकड़ों साल पीछे धकेलने का षड़यंत्र रचने में लगे हैं।
उपरोक्त के आलोक में कुछ ऐसे सवाल पेश होते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ा जाना नितांत अनिवार्य है, जैसे:
1. क्या महिलाओं के पहनावे संबंधी बयान को मॉरल पुलिसिंग माना जाना चाहिए?
2. क्या महिलाएं सेक्सी या अंग दिखाऊ वस्त्र पहनती हैं तभी उनसे छेड़छाड़ या बलात्कार की घटना को अंजाम दिया है?
3. यदि महिलाएं कथित शालीन वस्त्र पहनेंगी तो यौन दुर्व्यवहार रुक जाएगा, इस कथन से आप कितना सहमत हैं?
4. बलात्कार या यौन दुर्व्यवहार के लिए कुंठित मानसिकता जिम्मेदार है या महिलाओं का वस्त्राचरण?
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम मेंअपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
यौन उत्पीड़न के लिए दोषी कौन – महिलाओं का वस्त्राचरण या कुंठित मानसिकता?
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट: 1.यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हों तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “यौन उत्पीड़न” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व यौन उत्पीड़न– Jagran JunctionForum लिख कर जारी करें।
2.पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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