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“ नई-नई जीत और नई-नई शादी का अलग ही महत्व है।जिस तरह समय के साथ जीत पुरानी पड़ती जाती है उसी तरह वक्त के साथ बीवी भी पुरानी होती जाती है और उसमें वह मजा नहीं रह जाता है।”
उपरोक्त पंक्तियां भले ही आपको किसी बी ग्रेड फिल्म के डॉयलॉग लगें लेकिन जिस व्यक्ति के मुख से यह वचन निकले हैं वह हमारी केन्द्र सरकार के एक वरिष्ठ नेता हैं। वैसे तो यूपीए सरकार और विवादों का साथ बहुत पुराना है लेकिन हाल ही में केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के एक बयान ने विवादों की पकड़ को और अधिक मजबूत बना दिया है। हाल ही में अपने जन्मदिन के मौके पर संपन्न एक आयोजन के दौरान टीम इंडिया को जीत की बधाई देते हुए श्रीप्रकाश जायसवाल ने यह बयान दिया कि “नई-नई जीत बिल्कुल नई बीवी की तरह होती है। जैसे समय के साथ जीत भी पुरानी होती जाती है वैसे ही बीवी पुरानी होने के बाद उसमें वह मजा नहीं रह जाता।”
विरोधी खेमा तो केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के इस बयान को आपत्तिजनक बताकर विरोध कर ही रहा है लेकिन इसके साथ ही आम जनता विशेषकर महिलाओं में भी काफी रोष देखा जा रहा है। उनके इस बयान पर आपत्ति जताने वालों के अनुसार यूपीए सरकार के एक वरिष्ठ सदस्य और केंद्रीय मंत्री से कभी भी ऐसे बचकाने कथन की उम्मीद नहीं की जा सकती। श्रीप्रकाश जायसवाल की ऐसी सोच व्यक्तिगत ना होकर समस्त पार्टी की है। जिस सरकार से हम जनता के कल्याण की अपेक्षा रखते हैं वह महिलाओं के विषय में ऐसी निंदनीय सोच रखती है, यह बात बेहद कष्टप्रद है। अपने इस कथन से श्रीप्रकाश जायसवाल ने यह सिद्ध कर दिया कि पार्टी आम महिलाओं के प्रति कैसी मानसिकता रखती है।
इसके अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस बयान को गंभीरता से लेने से असहमत हैं साथ ही इसे पार्टी की मानसिकता बताने से भी नाइत्तेफाकी दर्शा रहे हैं। उनका मानना है कि यह पूरी तरह व्यक्तिगत सोच है, जिसका पार्टी की अवधारणा से कुछ भी लेना-देना नहीं है और इसे सामान्य हास्य बोध के रूप में ही देखा जाना चाहिए। इसके अलावा श्रीप्रकाश जायसवाल का भी यह स्पष्ट अभिमत है कि उन्होंने कवि सम्मेलन के माहौल में परिस्थितियों के तकाजे पर एक ठहाकेदार बात कही जिसका गलत अर्थ लगाया गया। वस्तुत: वे महिलाओं का सम्मान करते हैं और उनके इस वक्तव्य से यह कतई नहीं समझा जाना चाहिए कि महिलाओं को वह केवल भोग की वस्तु मानते हैं। उनके अनुसार कई बार बातें प्रसंग को जोरदार बनाने के लिए कही जाती हैं भले ही वह मामले से बिल्कुल अलग हों।
केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल के इस बयान से जुड़े पक्षों पर विचार करने के बाद निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने प्रकट होते हैं जिन पर बहस होनी ही चाहिए, जैसे:
1. क्या एक वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री का यह बयान वाकई सरकार की अंदरूनी सोच को दर्शाता है?
2. इस मुद्दे पर श्रीप्रकाश जायसवाल की सफाई को क्या पूरी तरह नजरअंदाज किया जा सकता है?
3. यदि हास्य-व्यंग्य के बहाने भी श्रीप्रकाश जायसवाल ने ऐसा बयान दिया है, तो क्या इसे सही ठहराया जा सकता है?
4. क्या श्रीप्रकाश जायसवाल का यह कथन पुरुष प्रधान समाज की कड़वी सच्चाई बयां करता है?
जागरण जंक्शन इस बार के फोरम में अपने पाठकों से इस बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर विचार रखे जाने की अपेक्षा करता है। इस बार का मुद्दा है:
“बीवी पुरानी हो तो मजा नहीं आता” – अपमानजनक सोच या महज हास्य बोधात्मक कथन
आप उपरोक्त मुद्दे पर अपने विचार स्वतंत्र ब्लॉग या टिप्पणी लिख कर जाहिर कर सकते हैं।
नोट:1. यदि आप उपरोक्त मुद्दे पर अपना ब्लॉग लिख रहे हैं तो कृपया शीर्षक में अंग्रेजी में “Jagran Junction Forum” अवश्य लिखें। उदाहरण के तौर पर यदि आपका शीर्षक “अपमानजनक सोच” है तो इसे प्रकाशित करने के पूर्व अपमानजनक सोच– Jagran Junction Forum लिख कर जारी कर सकते हैं।
2. पाठकों की सुविधा के लिए Junction Forum नामक नयी कैटगरी भी सृजित की गई है। आप प्रकाशित करने के पूर्व इस कैटगरी का भी चयन कर सकते हैं।
धन्यवाद
जागरण जंक्शन परिवार
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