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राजनीति में कोई किसी का नहीं होता। राजनीति सिर्फ वोट के आधार पर की जाती है। अकसर वोट बैंक की चाह में राजनीतिज्ञ सही और गलत को ताक पर रख देते हैं। असम में हुई भारी हिंसा इसी का उदाहरण है। असम पूर्वोत्तर भारत का अहम राज्य है। आरोप है कि “यहां बांग्लादेश से आए शरणार्थी मुसलमानों ने हिंदू बहुल क्षेत्र को लगभग मुस्लिम बहुत क्षेत्र में बदल दिया है। लेकिन जिस तरह एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकतीं उसी तरह इस क्षेत्र में अब इन दोनों धर्मों के लोगों का एक साथ रहना मुश्किल हो गया है।”
असम में हुई हिंसा को बांग्लादेशी शरणार्थियों द्वारा पैदा की गई हिंदू-मुस्लिम समस्या मानने वाले लोग कहते हैं कि 1971 के बाद से ही भारत में बांग्लादेशी लोगों की अवैध घुसपैठ जारी है। इन लोगों को नेताओं से वोट की गारंटी पर शरण का लाभ मिला। असम समेत अन्य कई पूर्वोत्तर राज्यों में लगातार बांग्लादेश से घुसपैठ हो रही है। बांग्लादेशी यहां आकर बस जाते हैं और फिर सरकारी वोटर कार्ड बनवाकर हमेशा के लिए यहीं के होकर रह जाते हैं। ऐसे में उन लोगों को बहुत परेशानी होती है जो पहले से इन इलाकों में रह रहे हैं। असम में भड़के दंगों की मुख्य वजह बांग्लादेश से आए मुस्लिम और स्थानीय हिंदुओं के बीच टकराव ही है।
लेकिन वहीं दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं जो इस समस्या को बांग्लादेशी शरणार्थियों द्वारा उत्पन्न हिंदू-मुस्लिम समस्या नहीं मानते हैं। इसके स्थान पर इनका कहना है कि यह हिंसा और तनाव बांग्लादेश से आए मुस्लिमों की वजह से नहीं शुरू हुआ बल्कि असम हिंसा की मुख्य वजह है जातीय वर्चस्व कायम कर संसाधनों पर कब्जा करने की नीति. इनका मानना है कि हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि असम शरणार्थियों की वजह से मुश्किल में है किंतु यहां हिंसा की एक मुख्य वजह जातीय संघर्ष है। असम में फैली कई छोटी-छोटी जातियों का कलह अब आग की तरह खुलकर सामने आ रहा है जो कल तक एक चिंगारी की तरह था।
उपरोक्त चर्चा के बाद इस मसले से जुड़े निम्नलिखित प्रश्न हमारे सामने आते हैं जिनका जवाब ढूंढ़ना बहुत जरूरी है, जैसे:
1. क्या वोट बैंक की चाह में सरकार ने असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों की खुशहाली को ताक पर रख दिया है?
2. क्या शरणार्थियों की आड़ में जातीय गुट इन राज्यों में अधिक सक्रिय हो रहे हैं?
3. क्या बांग्लादेश सीमा से हो रही घुसपैठ एक सोची-समझी चाल है?
4. क्या असम दंगों के बाद भारत सरकार सीमाओं पर हो रहे शरणार्थियों के नाम पर अवैध घुसपैठ को रोकेगी?
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