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‘हाइफा’ के वीरों की तीन मूर्तियां

kuchhalagsa.blogspot.com
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल के दौरे पर गए, जो देश के किसी भी प्रधानमंत्री का वहां का पहला दौरा था, तो उन्होंने वहां के शहर हाइफा जाकर भारतीय सैनिकों को भी श्रद्धांजलि प्रदान की। इस दौरे की मीडिया में काफी चर्चा रही थी। पहले विश्व युद्ध में मैसूर, जोधपुर और हैदराबाद के सैनिकों को अंग्रेजों की ओर से युद्ध के लिए तुर्की भेजा गया था। इसमें जोधपुर व मैसूर के सैनिकों ने इसी जगह सिर्फ तलवारों और भालों से दुश्मन की मशीनगनों का सामना करते हुए अप्रतिम वीरता दिखाकर शहर की रक्षा की। साथ ही दुश्मन के एक हजार से अधिक सैनिकों को बंदी भी बना लिया। हाइफा में लड़े गए युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में वहां तो यादगार स्थल बना ही है, अपने यहां दिल्ली में भी उनकी याद में तीन मूर्ति भवन के सामने के चौराहे पर तीन सैनिकों की मूर्तियों का स्मारक बनाया गया है। ये कांसे की आदमकद, सावधान की मुद्रा में हाथ में झंडा थामे तीन मूर्तियां आज भी खड़ी हैं।

यहां से हजारों लोग रोज गुजरते हैं, बाहर से दिल्ली दर्शन को आने वाले पर्यटक भी इस भवन को देखने आते हैं पर इन मूर्तियों के बारे में लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। हालांकि इन मूर्तियों का परिचय उनके नीचे लगे शिलालेख पर अंकित है। फिर भी अधिकांश लोगों ने मूर्तियों को भवन का एक अंग समझ कभी उनके बारे में जानकारी लेने की जहमत नहीं उठाई।


वर्षों पहले इस जगह बीहड़ जंगल हुआ करता था। शाम ढलते ही किसी की इधर आने की हिम्मत नहीं पड़ती थी। पूरा वन-प्रदेश जंगली जानवरों से भरा पड़ा था। करीब छह सौ साल पहले जब दिल्ली पर मुहम्मद तुगलक का राज्य था, तब यह जगह उसकी प्रिय शिकार गाह हुआ करती थी। शिकार के लिए उसने पक्के मचानों का भी निर्माण करवाया था, जिनके टूटे-फूटे अवशेष अभी भी वहां दिख जाते हैं।

समय ने पलटा खाया। देश पर अंग्रजों ने हुकूमत हासिल कर ली। 1922 में इस तीन मूर्ति स्मारक की स्थापना हुई। उसके सात साल बाद 1930 में राष्ट्रपति भवन के दक्षिणी हिस्से की तरफ उसी जगह राबर्ट रसल द्वारा एक भव्य भवन का निर्माण, ब्रिटिश “कमांडर इन चीफ” के लिए किया गया। उस समय इसे “फ्लैग-स्टाफ़-हाउस” के नाम से जाना जाता था। जिसे आजादी के बाद सर्व-सम्मति से भारत के प्रधानमंत्री का निवास बनने का गौरव प्राप्त हुआ और उसका नया नाम बाहर बनी तीन मूर्तियों को ध्यान में रख तीन मूर्ति भवन रख दिया गया।


दिल्ली का तीन मूर्ति भवन देश के स्वतंत्र होने के बाद भारत के प्रधानमंत्री का सरकारी निवास स्थान था, पर प्रधानमंत्री का घोषित निवास स्थान होने के बावजूद इसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ही रहे। उनके निधन के बाद इसे नेहरू स्मारक तथा संग्रहालय बना दिया गया।

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