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वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार ग्रहण, ग्रहों व तारों के आकाशीय मार्ग में एक दूसरे के सामने आने के कारण होता है। फिर भी ज्योतिषियों ने इस बात की पुष्टि की है कि ये शक्तिशाली घटनाएं हमारे जीवन में फेरबदल करने की क्षमता रखते हैं। इस मामले में वर्ष २०११ काफी दुर्लभ वर्ष साबित होने वाला है जब इस कैलेंडर वर्ष यानि कुल १२ महीनों में ६ ग्रहण लगने वाले हैं।
इन ६ ग्रहणों में से चार आंशिक सूर्य ग्रहण है जबकि दो पूर्ण चंद्र ग्रहण हैं। भारतीय संदर्भ यानि की ज्योतिषिय संदर्भ में ही नहीं बल्कि खगोलीय रुप से भी यह काफी दुर्लभ घटना है। संपूर्ण २१ सदी के दौरान केवल ५ बार ही ऐसी खगोलीय घटना घटने वाली है।
वर्ष २०११ का पहला आंशिक सूर्य ग्रहण ४ जनवरी २०११ को होने वाला है। यह केवल भारत के उत्तर पश्चिमी भाग में ही दिखने वाला है। चित्रा पक्ष लाहिड़ी पंचाग के अनुसार, ग्रहण १२.१० बजे (दोपहर) से शुरु होगा तथा १६.३१ मिनट (IST) पर समाप्त होगा। इसका सबसे बड़ा चरण १४ बजकर २१ मिनट पर होगा। इस ग्रहण का प्रभाव ४ जनवरी की सुबह सूर्य उदय के पहले ही २.३५ मिनट (मध्यरात्रि) में शुरु हो जाएगा। हिंदू पंचाग के अनुसार, सूर्य ग्रहण भूमावती अमावस्या तिथि को हो रही है जो कि बहुत ही अशुभ माना जाता है। यह धनु ( चंद्र राशि के अनुसार) राशि में पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में हो रहा है।
४ जनवरी २०११ को होने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव विभिन्न चंद्र राशियों पर इस प्रकार होगा
१. मेष | बाधाएं, बच्चों के लिए बुरा |
२. वृषभ | बिमारियों तथा दुर्घटनाओं की संभावना |
३. मिथुन | परिवार में संघर्ष तथा प्रतिष्ठा में नुकसान |
४. कर्क | अप्रभावी |
५. सिंह | माता पिता के लिए बुरा |
६. कन्या | कार्य क्षेत्र में अचानक समस्या |
७. तुला | अप्रभावी |
८.वृश्चिक | सामान्य रुप से दुर्घटना की संभावना तथा कुछ विशेष के लिए आग दुर्घटना |
९.धनु | सामान्य रुप से काफी खराब और विशेष रुप से स्वास्थ्य संबंधी समस्या, अचानक नुकसान की संभावना |
१०. मकर | भारी व्यय की संभावना |
११. कुंभ | अप्रभावी |
१२. मीन | अप्रभावी |
इस तालिका के अनुसार, कर्क, तुला, कुंभ तथा मीन राशि या लग्न के अलावा अन्य सभी राशि तथा लग्न वालों को उपचारी उपाय करने की आवश्यकता है। विशेषरुप से पूर्वाषाढ़ा, मूला, उत्तारषाढ़ा, भरणी तथा पूर्वाफाल्गूनी नक्षत्र वालों को ग्रहण की शांति के लिए विभिन्न उपाय अवश्य रुप से करने चाहिए।
जिस जगह पर सूर्य ग्रहण दिखेगा वहां उसका सबसे नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। भारत के जिन राज्यों में व स्थानोँ पर यह ग्रहण दिखने वाले हैं , वे इस प्रकार हैं
उत्तर प्रदेश | नैनीताल |
उत्तराचंल | हरिद्वार, देहरादून |
पंजाब | अमृतसर,जलंधर , चंड़ीगढ़ |
राजस्थान | अजमेर, जयपुर |
जम्मू व कश्मीर | श्रीनगर |
दिल्ली | दिल्ली |
गुजरात | द्वारका |
हिमाचल प्रदेश | शिमला |
प्रभावित क्षेत्र के निवासियों को इस सूर्य ग्रहण के नकारात्मक पहलुओं के मद्देनजर अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। जिन क्षेत्रों में ग्रहण नहीं दिखाई देने वाला है वहां के लोग अपनी राशि व नक्षत्र के बावजूद कम प्रभावित होगें।
देश पर ग्रहण का प्रभाव
जैसाकि पहले भी उल्लेख किया गया है कि इस सूर्य ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव लेकर आने की संभावना है और उसका प्रभाव राष्ट्र पर भी होता है। स्वतंत्र भारत की कुंडली को ध्यान में रखा जाए तो ४ जनवरी २०११ को भारत के ८वें स्थान पर सूर्य, चंद्रमा, राहू, मंगल तथा प्लूटो का संयोजन बन रहा है। यह भारी दुर्घटना, अग्नि से तबाही, आतंकवादी कार्रवाई तथा संपत्ति के नुकसान का संकेत है। इसके प्रभाव स्वरुप कोई बहुत ही वरिष्ठ राजनीतिक व्यक्ति या फिल्मी व्यक्तित्व की मृत्यु हो सकती है। किसी भी तरह की संभावित घटना से बचने के लिए उपचारी उपाय अवश्य किए जाने चाहिए।
सामान्य उपाय
एक सामान्य दिशानिर्देश के अनुसार सभी के लिए यह सलाह है कि वे ग्रहण के दौरान सूर्य या आकाश को देखने से बचें। इसके अलावा खाने पीने, मल मूत्र का त्याग तथा कामुक सुख आदि से बचें। विशेषकर उस स्थान के लोग जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
इसके अलावा जैसे ही ग्रहण शुरु हो वे स्नान कर लें। ग्रहण के दौरान वे निम्न मंत्र का जाप करें, यह लाभदायक होगा –
इंद्रो नालो यमो यास्को वरुणो वयूरेर च
कुबेर इशो धवननतीवंदो पगोथा वयथम् मम् ।।
ग्रहण की अवधि खत्म होने पर जरुरतमंद तथा गरीबों को दान दिया जाना चाहिए। ग्रहण खत्म होने – मोक्ष – के बाद एक बार फिर से संपूर्ण सफाई के लिए स्नान किया जाना चाहिए।
धार्मिक लोग ग्रहण के दिन उपवास करते हैं जो दूसरे दिन सूर्योदय तक जारी रहता है। हालांकि, धार्मिक ग्रंथों में बच्चों, अधिक उम्र के लोगों, रोगी, गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान इस उपवास से छूट दी गई है। इस समय के दौरान ग्रहण प्रभावित क्षेत्र में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
विशेष उपाय
विशेष उपचारात्मक उपाय के अंतर्गत धनु लग्न तथा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की गर्भवती महिलाओं को निम्न उपाय करना चाहिए –
– रुद्र अभिषेक का अनुष्टान तथा श्री गोपाल शरणम् का पाठ तथा गायत्री मंत्र का जाप लाभकारी होगा।
– तिल से भरे हुए पीतल के पात्र में एक स्वर्ण नाग को इस मंत्र का जाप करते हुए ब्राह्मण से देना चाहिए –
तमो मम् महा भीमा सोमा सूर्या विमार्धाना
हेमना प्रधानेन मम् शांति प्रदो भाभा । १।
विधुन्तु दा नमस्तुभ्यम् सिंहिका नंनदन्चयूत
दनेनानेन नागस्या रक्षा मा वेद जद् भावेत । २।
जिन स्थानों पर यह ग्रहण दिखने वाला है वहां लोगों की सुरक्षा के लिए वड़े पैमाने पर ग्रहण शांति यज्ञ किया जाना चाहिए।
http://ganeshaspeaks.com/pracharya_surendra_kapoor.jsp
गणेशजी के आशीर्वाद सहित
डॉ सुरेन्द्र कपूर
प्रख्यात ज्योतिष
गणेशास्पीक्स दल
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