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लग्न मेलापक नई पद्धति

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श्री गणेशाय नमः

लग्न मेलापक सामान्य रूप से विविध पद्धतियों से देखा जाता है। मेलापक में अधिक सतर्कता रखने के लिए कुछ लोग अंकशास्त्र का सहारा लेते हैं। अधिकांश ज्योतिषी विवाहोत्सुक लड़के-लड़की की कुंडली में उनके जन्म लग्न की तुलना करके मंगल और शुक्र, सूर्य और चंद्र तथा गुरु के सम्बंध के आधार पर मिलापक के बारे में फलकथन करते हैं।

विशेष रूप से वे नवमांश कुंडली और दशाओं को भी ध्यान में रखते हुए  चंद्र राशियों के बीच की सुसंगतता भी देखते हैं। इन सबके अध्ययन से ज्योतिषियों के लिए दोनों पात्रों में से किसका वर्चस्व अधिक रहेगा, यह जानना अधिक सरल बन रहा है। और उसके अनुसार वे अपने यजमानों को मार्गदर्शन दे सकते हैं। मैने जो अध्ययन किया है उसके अनुसार आपकी कुंडली पोजेटीव है या नेगेटीव, उसे खोज निकालने के लिए हमें निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी है।

१. कुंडली में कितने पुरुष ग्रह पुरुष राशि में हैं। उसे खोजकर प्रत्येक को एक प्वाइन्ट देना है।

पुरुष ग्रहः सूर्य, मंगल, गुरु, शनि, यूरेनस और प्लूटो

पुरुष राशियाँ- १, ३, ५, ७, ९, और ११वीं


२. इसी तरह कुंडली में स्त्री राशि में कितने स्त्री ग्रह हैं, उसे खोजकर एक प्वाइंट दें।

स्त्री ग्रह- चंद्र, शुक्र और नेपच्यून

स्त्री राशियाँ- २, ४, ६, ८, १० और १२


३. बुध के लिए- यदि वह पुरुष ग्रह के साथ हो तो पुरुष और स्त्री ग्रह के साथ बैठा हो तो स्त्री ग्रह में उसकी गणना करें।

४. राहु और केतु राशि के स्वामी के अनुसार ध्यान में लें।

यदि कोई भी पुरुष ग्रह स्त्री राशि में हो तो उसे शून्य प्वाइंट मिलेगा। यही नियम स्त्री ग्रह के लिए भी लागू पड़ता है जब वह पुरुष राशि में हो। अब प्वाइंट गिनें और किसका स्कोर अधिक होता है उसे देखें। यदि दोनों के प्वाइंट समान हों तो जन्म लग्न देखें कि वह पुरुष राशि है या स्त्री राशि का ? इससे पता चलेगा कि कुंडली पोजेटीव है या नेगेटीव। इसलिए लग्न मेलापक मिलाते समय हमें निम्नानुसार चार कोम्बिनेशन मिलेंगे।


१. लड़के का पोजेटीव और लड़की का पोजीटीव

२. लड़के का पोजीटीव और लड़की का नेगेटीव

३. लड़के का नेगेटीव और लड़की का पोजीटीव

४. लड़के का नेगेटीव और लड़की का नेगेटीव

पोजेटीव पात्र अहंकारी होंगे और वे अपने जीवनसाथी पर वर्चस्व रखने की कोशिश करेंगे। नेगेटीव समझदार स्वभाव के होंगे और वे जब दोनों के बीच मतभेद खड़े होंगे तब समाधानकारी व्यवहार अपनाकर समझौता करने का प्रयास करेंगे। इसलिए यदि कुंडली जब अच्छी तरह मिलती हो तो भी २ और ४ प्रकार का मेलापक अधिक स्वीकार्य रहेगा।


पहले प्रकार के मेलापक में दोनों के बीच सतत अहम का टकराव होने से वे हमेशा झगड़ते रहेंगे और उनके अलग होने की भी संभावनाएँ हैं, तीसरे प्रकार के मेलापक में पुरुष को अपनी पत्नी का उसपर प्रभुत्त्व जमाना पसंद नहीं होगा। जबकि वे शायद अमुक अंश में समाधानकारी व्यवहार अपनाने का प्रयास करेंगे।


में व्यक्तिगत रूप से ऐसा मानता हूँ कि इस प्रकार का मेलापक विवाहोत्सुक उम्मीदवारों को सहायक हो सकता है।

संतोष देउसकर

http://ganeshaspeaks.com/santosh_pandurang_deuskar.jsp

सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर

गणेशास्पीक्स टीम

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