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[Child Birth Problems and Horoscope] संतान प्राप्ति की समस्या

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भारत जैसे परंपरागत समाज में विवाह के पश्चात संतान प्राप्ति को हमेशा प्रधानता दी जाती है। एक समय विवाह के पश्चात स्त्री तुरंत ही गर्भवती न बने हो उसके ससुरालवाले अपने परिवार का वारसदार न देने के कारण हमेशा प्रताडित करते थे। परंतु समय के साथ बहुत कुछ बदला है। अब शिक्षित लोग स्त्री के गर्भवती न बनने पर डाक्टर को मिलकर चिकित्सकीय जाँच कराते हैं और जानने का प्रयत्न करते हैं कि गर्भवती न होने के पीछे कोई चिकित्सकीय कारण उत्तरदायी है क्या। अमुक मामले में चिकित्सक दंपति को विश्वास दिलाते हैं कि चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। उसे बायोलोजिकल या मेडिकल की दृष्टि से कोई तकलीफ नहीं है।

फिर भी दंपति गर्भधारण नहीं कर पाते। ऐसे समय में ज्योतिषशास्त्र दंपति का सहायक बनता है।

पति और पत्नी की जन्म कुंडली का विश्लेषण करने के बाद उनमें दो संभावनाएँ हो सकती हैं।

  1. उनके निःसंतान होने की समस्या हो सकती है।

2.  यह देखना आवश्यक है कि उनके संतान प्राप्ति में विलंब का प्रश्न है या फिर संतान होने की संभावना ही नहीं है।

यदि जन्म कुंडली बालक के जन्म के लिए आशास्पद लगती हो तो दशा और गोचर के ग्रहों की दृष्टि से समय देखना चाहिए। इन सभी मामलों में बालक की संभावना के लिए पुरुष की कुंडली देखनी चाहिए। फिर गर्भधारण के समय के लिए स्त्री की कुंडली की जाँच करनी चाहिए।

जन्म कुंडली के विश्लेषण के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जाती है।


  1. लग्न से पाँचवाँ और पंचमेश की जाँच।

2.  चंद्र से पाँचवाँ स्थान और पंचमेश की जाँच।

3.  गुरु से पाँचवाँ स्थान और पंचमेश की जाँच।

4.  सप्तमांश में से पाँचवाँ स्थान और पंचमेश की जाँच।

बालकों का जन्म पाँचवे स्थान अथवा पाँचवे स्थान का स्वामी अथवा सप्तमांश के साथ जुड़ी दशा में होता है। यदि पाँचवा स्थान दुषित हो, वह अस्त हो या वक्र हो और अन्य वक्रग्रहों की उस पर दृष्टि हो, जो अधिकांशतः खराब दृष्टि हो तो संतान प्राप्ति में विलंब होता है।

Case Study

  1. पाँचवे स्थान में शनि वक्र है और उसपर सूर्य की दृष्टि है। इसलिए वह गर्भधारण में विलंब सूचित करता है।

2.  पाँचवे स्थान का स्वामी गुरु दसवें स्थान में शुक्र के साथ है, जो अच्छा है।

3.  पाँचवे स्थान के स्वामी पर गुरु की दृष्टि है, जो बालक के लिए आशा का प्रतीक है।


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पति की कुंडली पर से निष्कर्ष प्राप्त करने के बाद स्त्री की कुंडली की जाँच करनी चाहिए।

  1. स्त्री की कुंडली में पाँचवे स्थान का स्वामी 12वें स्थान में गया है। जो अनुकूल नहीं है।
  2. पाँचवे स्थान पर सूर्य और शुक्र की दृष्टि है, जो बहुत ही आशास्पद स्थिति पैदा करती है।
  3. गुरु और शनि मंगल और बुध के साथ पाँचवें स्थान पर दृष्टि करते हैं। उसके कारण संतान प्राप्ति में विलंब या न होने की संभावना जाहिर होती है।
  4. सप्तमांश में पाँचवाँ स्थान में केतु है, परंतु पाँचवें स्थान का स्वामी शुक्र के साथ है और उसपर गुरु की दृष्टि है। वह भी विलंब से संतान होने की संभावना सूचित करता है।

ganesha speaks

सुखविन्दर शर्मा

http://w.ganeshaspeaks.com/sukhwinder_sharma.jsp

सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर

गणेशास्पीक्स टीम

Every living wants to grown his generation but this is not in his own hands.  This blog says about child birth position and related problems in horoscope.  You can know easily why many obstacles are available in child birth with study of horoscope/astrology.

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