[What is Kalsarpyoga] हमारा सुख-चैन हरनेवाला कालसर्पयोग
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जातक की कुंडली में जब सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि राहु और केतु के बीच आ जाए तब ‘कालसर्पयोग’ निर्मित होता है। राहु, केतु की इन दो छुरियों के बीच ये सात ग्रह फंसे हों तब कालसर्पयोग होना कहलाता है।
कालसर्प योग चार अलग-अलग तरह से जातकों को प्रभावित करता है।
निर्धारित लक्ष्यांक सिद्ध करने में असफलता मिलने पर जीवन में संघर्ष बढ़ता है। जो व्यक्ति को हताशा और निराशा की तरफ धकेलती है।
मानसिक और शारीरिक कमजोरी ।
विवाह में विलंब अथवा वैवाहिक जीवन में हताशा और विसंवादिता।
संतान प्राप्ति में तकलीफें आना अथवा संतान तरफ से कम सुख।
कालसर्प योग के निम्नलिखित परिणाम देखने को मिलते हैं।
व्यक्ति आर्थिक रूप से सफल होने के लिए अधिक प्रयत्न करता है और वह मुख्यतः संघर्ष के कारण होता है।
इस योग का प्रभाव जीवन भर रहता है।
42 वर्ष तक इस का प्रभाव शक्तिशाली माना जाता है।
मुख्यतः राहु और केतु की दशाओं के दौरान कालसर्प योग का प्रभाव विशेष मात्रा में होता है।
कालसर्प योग के प्रभाव खोज निकालने के लिए कुंडली में से निम्नलिखित मुद्दों का संशोधन करने की आवश्यकता है।
यदि व्यक्ति कालसर्प योग के प्रभाव में हो तो क्या वह अन्य योगों के शुभ प्रभाव से वंचित रहेगा?
जीवन के प्रारंभिक दौर में क्या व्यक्ति को अधिक संघर्ष करना पड़ा है ?
क्या व्यक्ति को उसके द्वारा किये गये परिश्रम के अनुपात में कम परिणाम होता है ?
क्या वह मानसिक रूप से अस्वस्थ रहता है ?
क्या उसे सॉप के स्वप्न आते हैं ?
क्या उसे भयानक सपने आते हैं ? यदि जातक बालक हो तो नींद में बार-बार किसी को याद करके जग जाता है ? औऱ नींद में बिस्तर पर पेशाब करता है ?
क्या वह बारंबार बीमार पड़ जाता है ?
यदि जातक व्यवसाय करता है तो उसे उसके व्यवसाय में समस्याएँ और कभी-कभी बड़ी संकटपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ता है?
क्या उसके विवाह होने में विलंब हुआ है अथवा उसका दांपत्यजीवन सुखी नहीं है?
सगर्भा स्त्री को बारंबार गर्भपात या असमय गर्भस्राव हो जाता है ?
क्या उसे संतानों की तरफ से संतोष या खुशी नहीं है ?
क्या वह सतत आर्थिक संकटपूर्ण स्थिति का अनुभव करता रहता है ?
राहु और केतु की दशाओं में यह परिणाम अधिक स्पष्ट दिखाई देता है ?
कुंडली में ऐसे परिणाम देनेवाले कोई अन्य कोई बात तो नहीं है न ?
कालसर्प दोष की शांति कराने के बाद स्थिति में कोई प्रत्यक्ष परिवर्तन हुआ है क्या ?
राहु और केतु के लिए बताए गए रत्न पहनने के बाद स्पष्ट परिवर्तन अनुभव किया है क्या ?
कालसर्पयोग वाले जातक को राहु-केतु के गोचर भ्रमण में परिस्थिति अदिक खराब हुई है क्या ?
यदि नवमांश या अन्य वर्गीय कुंडलियों में भी कालसर्प योग होता हो तो ये परिणाम अधिक उग्र बने हैं ?
42 वर्ष की आयु के पश्चात कालसर्पयोग वाले व्यक्ति के जीवन में सुधार देखने को मिले हैं क्या?
42 वर्ष की आयु के बाद जीवन में अधिक शांति और सफलता मिली है, क्या ऐसा कह सकते हैं?
यदि परिवार के बहुत से सदस्यों की कुंडली में कालसर्पयोग हो तो सभी को एक ही प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्या ?
यदि कोई व्यक्ति कालसर्प योग के आधार पर भविष्यफल जानना चाहता हो तो उसे उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर देने पड़ेंगे।
किसी अच्छे ज्योतिषी को बताकर व्यक्ति को उसका प्रभाव कम करने के लिए सलाह लेनी चाहिए।
This blog defines how our luck/fate affected with horoscopic/astrological Kalsarpyoga problems/troubles and suggested measures to remove these horoscopic/astrological Kalsarpyoga problems/troubles. Our life is totally based on horoscope and position of planets in zodiac.
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