Menu
blogid : 26381 postid : 4

संवैधानिक आयोग की बेबसी, उदासीनता से संकट में नौनिहाल

Gauravkumar
Gauravkumar
  • 2 Posts
  • 1 Comment

देश में तमाम संवैधानिक संस्थान है । पुलिस है। इंटेलिजेंस है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग है। मानवाधिकार आयोग है। न जाने ऐसी कितनी व्यवस्थाएं हैं। जिनका काम देश को सुचारू रूप से चलाने में मदद करना है। इन सबके बावजूद नौनिहालों को भट्टियों, मंडियों, कारखानों में खपाया जा रहा है। एक रिपोर्ट में सामने आया है कि देश में बिहार बच्चों की तस्करी के मामले में सर्वाधिक दर 89 फीसद है। जहां गरीब माँ- बाप को रूपयों का लालच देकर तस्कर बच्चों को खरीद रहे हैं या अपहारण कर उनको गैर कानूनी गतिविधियों में लगा रहे हैं। ऐसा करके वह न केवल बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं बल्कि उनके संपूर्ण विकास में अवरोध बन रहे है। तस्करों की इन सब वारदातों को देखकर सवैधानिक संस्थान बनावटी प्रतीत होती है। इन संस्थानों की नाक के नीचे गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है। संस्थानों के बावजूद तस्कर बिहार के बच्चों को अलग अलग राज्यों में खपा रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा बच्चों को राजस्थान की भट्टियों, मंडियों, कारखानों में खपाया जा रहा है। इन तस्करों का जाल इतना बृहद है कि यदि कोई संस्थान भूली भटकी इन बच्चों तक पहुंचकर उन्हें मुक्त करा भी लेती है। तो यह तस्कर कुछ समय पश्चात ही निर्बाध नौनिहालों को भट्टियों, मंडियों व कारखानों में वापस पहुंचा देते है।

 

 

दैनिक जागरण में छपी खबर में बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. हरपाल कौर ने कहना है कि सरकारी अधिकारी आयोग को बहुत हल्के में लेते हैं। मीटिंग बुलाने पर उसमें शमिल होना जरूरी नहीं समझते। अध्यक्ष ने जो कुछ कहा वह शासन और प्रशासन की इच्छा को जगजाहिर करता है । बयान सिस्टम की बेबसी और घोर उदासीनता को बयां करता है।

 

साथ ही देश में केन्द्र औऱ राज्य स्तर पर  बाल संरक्षण आयोग को संवैधानिक संस्थान का दर्जा है। भारत ने बतौर सदस्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुपालन के लिए इसे संविधानिक दर्जा दिया है। यह आयोग बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों को सुझाव व दिशा निर्देश देता है। ताकि बच्चों के भविष्य को निर्बाध उज्ज्वल बनाया जा सके। पर इन सबके अस्तित्व में होने के बाद भी देश के बच्चों को संरक्षण नहीं मिल पा रहा है। और न ही सरकारी तंत्र इतने संवेदनशील मामले को हल करने के लिए प्रयासरत दिखाई देता है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो जिस युवा शक्ति की बखान देश के प्रधानमंत्री करते नहीं थकते है वह ताकत संकट की दहलीज पर पहुंचने के कगार पर खड़ी हो जाएगी… देश पर कई तरह के संकट के बादल मंड़राने लगेंगे…

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh