भोर की प्रतीक्षा में ...
- 54 Posts
- 872 Comments
सरोवर को समुन्दर समझने का भ्रम /
तब टूट जाता है /
जब हलकी सी हलचल से/
कीचड़ ऊपर आजाता है |.
पत्थर को पूज्य बनाने में/
स्वयं का ही द्रष्टि कोण बदलना पड़ता है /
परन्तु अक्सर पत्थर /
अपने पत्थर होने का प्रमाण दे देता है |
.
अति निकटता वर्जनीय है/
किन्तु अति निकट आकर ही /
सत्य समझ में आता है और/
मनुष्य का झूठा भ्रम टूट जाता है |
निर्मल
Read Comments