Menu
blogid : 16670 postid : 1056732

भ्रम —

भोर की प्रतीक्षा में ...
भोर की प्रतीक्षा में ...
  • 54 Posts
  • 872 Comments

सरोवर को समुन्दर समझने का भ्रम /
तब टूट जाता है /
जब हलकी सी हलचल से/
कीचड़ ऊपर आजाता है |.

पत्थर को पूज्य बनाने में/
स्वयं का ही द्रष्टि कोण बदलना पड़ता है /
परन्तु अक्सर पत्थर /
अपने पत्थर होने का प्रमाण दे देता है |
.
अति निकटता वर्जनीय है/
किन्तु अति निकट आकर ही /
सत्य समझ में आता है और/
मनुष्य का झूठा भ्रम टूट जाता है |
निर्मल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh