Menu
blogid : 16670 postid : 798018

अवसादों के काराग्रह में …निर्मला सिंह गौर

भोर की प्रतीक्षा में ...
भोर की प्रतीक्षा में ...
  • 54 Posts
  • 872 Comments

स्वप्नों के मदिरालय में हो मदहोश, सत्य झुठलाते हो
अवसादों के काराग्रह में निर्दोष कैद हो जाते हो |
.
चंचल पंछी बन कर नभ में उंचाई पर उड़ जाते हो,
फिर तेज़ हवा के झोंकों से भू पर आकर गिर जाते हो,
ब्रम्हाण्ड बड़ा ही विस्तृत है और पवन बहुत वलशाली है,
वसुधा के तरुण धरातल पर भी, देखो तो हरियाली है,
क्यों आंधी और तूफ़ानो में ही अपना नीड़ बनाते हो
अवसादों के काराग्रह में निर्दोष कैद हो जाते हो |
.
मन के धावक अश्वों पर चढ़ सरहदें लांघने जाते हो,
है द्रष्टिहीन गतिमान प्रेम, दीवारों से टकराते हो,
भावुकता की म्रगतृष्णा में अपना विवेक खो देते हो,
सीमाओं की मजबूती को स्वीकार नहीं कर पाते हो,
अपने स्व को लख कर परास्त,आघात लिए आ जाते हो,
अवसादों के काराग्रह में निर्दोष कैद हो जाते हो |
.
पत्थर को ऊंचाई पर रख जी तोड़ तपस्या करते हो,
लेकिन उस मूक,विवश,जड़ से वरदान की आशा करते हो,
आसक्ति दिखा कर इष्टदेव की शक्ति परीक्षा करते हो,
फिर ईश्वर को पत्थर कह कर,मन से निष्कासित करते हो,
है प्रेम का मतलब त्याग,मगर तुम तो सौदा कर जाते हो,
अवसादों के काराग्रह में निर्दोष कैद हो जाते हो ||
—————————————————निर्मल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh