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दर्द — निर्मलासिंह गौर

भोर की प्रतीक्षा में ...
भोर की प्रतीक्षा में ...
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जो चहकते हैं और बातें बनाया करते हैं
उनकी ख़ामोशी बिना बात नही होतीं हैं ।
और जो खामोश रहा करते हैं ,
उनकी एक बात भी गहराई से निकलती है ।
जो बहुत कम ही खिलखिलाते हैं ,
उसकी मुस्कान बड़ी होती है उन लोगों से
जो सदा हँसते ,खिलखिलाते है ,
पर वो जो सदा हंसते हैं,खिलखिलाते हैं ,
उनकी मायूसी भी
सौ दर्द लिए होती है ।।
……………….………………..………
निर्मल

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